Ashutosh Jha
काठमांडू : संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित विश्व अंतरधार्मिक सप्ताह के अवसर पर यूनिवर्सल पीस फेडरेशन नेपाल की ओर से आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में विभिन्न धार्मिक नेताओं ने अंतरधार्मिक सद्भाव, आपसी समझ और विश्व शांति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में नेपाल के विभिन्न धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पूर्व मंत्री और प्रतिनिधि सभा के सदस्य एकनाथ ढकाल ने विश्व इंटरफेथ सप्ताह में सभी का स्वागत किया और कहा कि इंटरफेथ बैठकों और सम्मेलनों को विशेष प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक समुदायों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए न कि प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सभी को राष्ट्रवादी होना चाहिए, सद्भाव के साथ संस्कृति का सम्मान करना चाहिए।” उन्होंने सह-आयोजक इंटरफेथ एसोसिएशन फॉर पीस एंड डेवलपमेंट (आईएपीडी) को भी धन्यवाद दिया। डॉ. नरेंद्र पांडे ने कहा कि यूनिवर्सल पीस फेडरेशन लंबे समय से अंतरधार्मिक संवाद को विशेष महत्व देता रहा है। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि “इंटरफेथ सप्ताह लोगों को एक साथ लाता है और समाज में कलह और हिंसा को कम करने में मदद करता है।”
अच्युता सुबेदी ने हिंदू धर्म के मंत्रों का उदाहरण देते हुए सत्संग और सहयोग के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी को मिलकर सहयोग करना चाहिए। ओशो धारा की आचार्य नम्रता पांडे ने शांति का संदेश प्रस्तुत किया और विचार रखा कि “शांति हर व्यक्ति में मौजूद एक तत्व है, धर्म मार्ग है, लक्ष्य है, इसलिए हम सभी को एक साथ आगे बढ़ना चाहिए।” ईसाई नेता तुलसी प्रसाद श्रेष्ठ ने एक अंतर-धार्मिक आयोग की आवश्यकता बताई और कहा कि समान अधिकार सुनिश्चित किए जाने चाहिए। इंटरफेथ नेटवर्क के एक कार्यकर्ता शेख नाएदा ने विचार व्यक्त किया कि “नास्तिकता फैलाने वाले तत्वों को हटाने की जरूरत है।”
सनातन धर्म के प्रतिनिधि रामचन्द्र भंडारी ने कहा कि भले ही नेपाल धार्मिक रूप से समृद्ध है, लेकिन मानसिकता में बदलाव की जरूरत है और सनातन धर्म के बुनियादी अध्ययन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। नारायण प्रसाद गजुरेल ने कहा कि “मनुष्य के जीवन में धर्म के द्वारा नई पीढ़ी को सकारात्मक परिवर्तन लाना होगा”।उन्होंने धर्म के प्रति घटती रुचि पर चिंता व्यक्त की।उन्होंने कहा कि धर्म का सही आचरण जरूरी है। कार्यक्रम में भाग लेने वाले धार्मिक नेताओं और प्रतिनिधियों ने विविधता में एकता बनाए रखते हुए अंतर-धार्मिक सद्भाव को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।कार्यक्रम के उद्घोषक एवं आयोजक संस्था के अध्यक्ष संतोष कुमार पौडेल ने इच्छा व्यक्त की कि ”सभी धर्मों के नेताओं को ऐसे सर्वधर्म कार्यक्रम जारी रखने चाहिए।”
कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. पिया रत्न महर्जन ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि वह न केवल नेपाल में बल्कि पूरे विश्व में अंतर-धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहेंगी। जैन धर्म के नेता नमन उपाध्याय ने कहा कि शांति और सद्भाव सभी की सामान्य इच्छा है और राय व्यक्त की कि जीवन शैली में अंतर-धार्मिक विचारों को शामिल किया जाना चाहिए। भिक्षु धर्म मूर्ति ने कहा कि अंतर-धार्मिक संवाद का दायरा बढ़ाने की जरूरत है और विचार व्यक्त किया कि “हमारे समुदाय को इस अभियान में शामिल किया जाना चाहिए।”