Ranjit Kumar
रांची: जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा रांची के मोरहाबादी मैदान में आदिवासी डिलिस्टिंग महारैली का आयोजन किया गया. इस रैली के आयोजन और मांग पर पूर्व विधायक सह झारखंड आंदोलनकारी सूर्य सिंह बेसरा ने प्रतिक्रिया दी है. पूर्व विधायक ने कहा कि मैं डिलिस्टिंग शब्द से सहमत नहीं हूं, ना ही इसके पक्षधर हूं. डिलिस्टिंग की मांग करने वाले आदिवासियों में भाईचारा को खत्म करना चाहते हैं. ऐसे लोगो संविधान के अनुच्छेद पच्चीस को पढ़ना चाहिए जिसमे धर्म की स्वतंत्रता का प्रावधान हैं.
बता दे की आज की रैली मे बड़ी संख्या में जनजाति समाज के लोग झारखण्ड के विभिन्न जिलों से एकजुट होकर अपने मांगों को सरकार के समक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए. रैली का मुख्य मुद्दा जिसने जनजाति आदि मत तथा विश्वासों का परित्याग कर दिया है और ईसाई या इस्लाम धर्म अपना लिया है उसे अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं समझा जायेगा और उसे अनुसूचित जनजाति का आरक्षण नहीं मिले।
राष्ट्रीय संयोजक पूर्व मंत्री गणेशराम भगत ने कहा की देश के 700 से अधिक जनजातियों के विकास एवं उन्नति के लिये संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया था। लेकिन इन सुविधाओं का लाभ अधिकतर वे लोग उठा रहे हैं, जो अपनी रूढ़ि प्रथा छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन गए हैं। इन सुविधाओं का 80 प्रतिशत लाभ मूल जनजाति समुदाय से छीन रहे हैं.
जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक राजकिशोर हांसदा ने कहा की सरकार से हमारी मांग है की धर्मान्तरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति का आरक्षण की सुविधा नही मिले. इस मुद्दे को स्व. कार्तिक उराँव जी संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष रखा था ताकि जो व्यक्ति जिसने जनजाति आदि मत तथा विश्वासों का परित्याग कर दिया है और ईसाई या इस्लाम धर्म अपना लिया है उसे अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं समझा जायेगा और उसे अनुसूचित जनजाति का
आरक्षण नहीं मिलेगा। देश के 700 से अधिक जनजातियों के विकास एवं उन्नति के लिये संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया था। लेकिन इन सुविधाओं का लाभ अधिकतर वे लोग उठा रहे हैं, जो अपनी रूढ़ि प्रथा छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन गए हैं।