Ashutosh Jha
नई दिल्ली : दिल्ली में बिहार महोत्सव का आयोजन 3-4 दिसंबर को होने वाला है। बिहार महोत्सव का आरम्भ 2003 में किया गया। इसका पहला आयोजन 6-7 दिसंबर, 2003 को दिल्ली स्थित ईस्ट ऑफ कैलाश के इस्कॉन ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ था। इस महोत्सव के प्रणेता रंगकर्मी प्रसाद रत्नेश्वर हैं जो मोतिहारी, बिहार के रहने वाले हैं। पूर्वी चंपारण की सांस्कृतिक – साहित्यिक संस्था ‘परिवर्तन’ के तत्वावधान में पहली बार बिहार महोत्सव आयोजित किया गया था। इसके दो दिवसीय आयोजन में बिहार के कई ज़िलों से आये चार सौ लोक कलाकारों ने भाग लेकर अपनी कला का प्रदर्शन किया था। राष्ट्रीय एकता एवं विश्व बंधुत्व की एक सांस्कृतिक पहल के रूप में इसे जन्म दिया गया।
इस महोत्सव के मंच पर तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री हुक्मदेव नारायण यादव, संसद सदस्य राधामोहन सिंह, बिहार सरकार में मंत्री रमा देवी, समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष मृदुला सिन्हा, बिहार विधान सदस्य तनवीर हसन, दिल्ली के संयुक्त पुलिस आयुक्त आमोद कुमार कंठ, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक ताज हसन, भापुसे नुजहत हसन, एसआईएस के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक आरके सिन्हा, शिक्षाविद भगवान लाल, टेलीविजन इंडिया के निदेशक द्वय सुहेल खान एवं तनवीर हसन, रेडियो मिर्ची के शामिल तालुकदार और मीडिया पर्सन सुधाकर शरण माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका के सम्पादक प्रो. महेश्वर प्रसाद सिंह ( कवि जी) थे। आयोजन की तिथि के कुछ ही दिनों पहले असम में 34 निर्दोष बिहारियों की हत्या हुई थी। बिहार महोत्सव के इस मंच से प्रतिरोध के स्वर गूंजे थे।
2024 में बिहार महोत्सव के आयोजन के लिए नयी समिति गठित कर इसे बिहार महोत्सव आयोजन समिति, दिल्ली का नाम दिया गया है। मोहन कुमार गुप्ता अध्यक्ष एवं राकेश कुमार वर्मा समिति के कोषाध्यक्ष सह जन संपर्क अधिकारी बनाये गये हैं।पहले आयोजन के अतिथि तनवीर हसन एवं सुधाकर शरण आयोजन के संरक्षक हैं। 2024 के बिहार महोत्सव में बिहार के लगभग 200 लोक कलाकार पारम्परिक लोकनृत्य-नृत्य नाटिका-लोकगीत- संगीत,शिल्प का प्रदर्शन करेंगे। वहीं बिहार की पृष्टभूमि पर बनी ‘चम्पारण सत्याग्रह’ एवं शार्ट फिल्मों का प्रदर्शन, बिहार लिटरेचर फेस्टिवल में लेखक-पाठक संवाद तथा फ़ूड फेस्टिवल में बिहारी व्यंजन परोसे जायेंगे। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज उपकेंद्र दिल्ली ने इस महोत्सव में अपने स्तर से दो सांस्कृतिक दलों को भेजने की स्वीकृति दी है।
केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य विशिष्ट जनों ने महोत्सव में भाग लेने हेतु अपनी सहमति जतायी है। अपनी स्थापना के समय से ही बिहार महोत्सव का गैर-राजनीतिक और बिना सरकारी अनुदान के वाला स्वरूप बरकरार है।वस्तुतः अब यह प्रवासी बिहारियों द्वारा दिल्ली में अपनी गौरवशाली लोक-संस्कृति को बचाने और उस पर गर्व करने का अनुष्ठान है। महोत्सव की इस वर्ष की थीम है- कला-संस्कृति के क्षेत्र में विशेष राज्य का लोक रस-रंग।