दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति और बाबरनामा पढ़ाने की कोई योजना नहीं : कुलपति

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने मंगलवार को कहा कि विश्वविद्यालय में मनुस्मृति या बाबरनामा जैसा कोई भी कोर्स या अध्ययन सामग्री प्रस्तुत करने की हमारी कोई मनसा नहीं है। डीयू प्रशासन के सामने न तो ऐसा कोई विषय विचारणीय है और भविष्य में भी हम ऐसे विषयों को अस्वीकार करते हैं।

कुलपति ने कहा कि बाबरनामा तो वैसे भी एक आतातायी की आत्मकथा है। उसके पढ़ाने की न तो कोई जरूरत है और आज के समय में न ही उसकी कोई प्रासंगिकता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के तहत हम भारतीय परंपराओं के अनुरूप नए-नए कोर्स लाना चाहते हैं और ला भी रहे हैं, जिनसे देश और समाज का भला हो। हम विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं। इस दिशा में देश की अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत हो और समाज का दायरा कैसे बेहतर हो सके, हम इसकी ओर अग्रसर हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी अध्ययन सामाग्री इस बात के मद्देनजर डिजाइन कर रहा है कि हम 2047 तक विकसित राष्ट्र के संकल्प को कैसे प्राप्त कर सकते हैं और डीयू का उसमें क्या योगदान हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि डीयू के इतिहास और दर्शनशास्त्र विभाग की संयुक्त पाठ्यक्रम समिति ने 19 फरवरी को एक बैठक में अपने स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव कर ऐतिहासिक ग्रंथों- मनुस्मृति और बाबरनामा को शामिल करने का सुझाव दिया था। हालांकि पाठ्यक्रम में बदलावों की समीक्षा करने वाली कार्यकारी परिषद ने इसे अभी मंजूरी नहीं दी है।