दिशोम गुरु का निधन झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत: डाॅ. सूरज मंडल

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Eksandeshlive Desk

रांची: पूर्व सांसद, पूर्व जैक उपाध्यक्ष, झारखण्ड मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष, अखिल भारतीय संपूर्ण क्रांति राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सूरज मंडल ने कहा है कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन झारखंड की वैसी राजनीतिक क्षति है जिसकी भरपायी न केवल बहुत अधिक मुश्किल है बल्कि उनके रिक्त स्थान को भरना असंभव है. डॉ. मंडल ने कहा कि शिबू सोरेन के निधन के साथ ही झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है और इस युग को कभी भी बुलाया नहीं जा सकता क्योंकि इसी दौरान न केवल झारखंड में शोषण और उत्पीड़न के विरुद्ध आम लोगों के संघर्ष को एक सशक्त आवाज मिली बल्कि इसी दौरान नये प्रदेश से झारखंड का भी गठन हुआ.
डॉ. मंडल ने कहा कि यह बहुत अफसोस की बात है कि आज झारखंड गठन के 25 साल पूरे हो गये लेकिन झारखंड गठन का वह स्वरूप अबतक इस प्रदेश को प्राप्त नहीं हुआ है जिसके लिए इस प्रदेश का गठन किया गया था. जल, जंगल और जमीन के साथ ही खनिज एवं मानव संसाधनों से भरे इस प्रदेश को ऐसा लगता है जैसे किसी की नजर लग गयी है. अकुशल प्रशासन, अदूरदर्शी राजनीतिक क्षमता और प्रशासनिक क्षमता के भयानक रूप का यह प्रदेश शिकार हुआ है.
डॉ मंडल ने प्रार्थना की कि भगवान दिशोम गुरू शिबू सोरेन की आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें. उन्होंने श्री सोरेन के परिजनों, उनके शुभचिंतकों और राज्य के लोगों को इस आघात को सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की. डॉ मंडल ने कहा कि उनके पुत्र दुर्गा सोरेन के निधन के बाद ही दिशोम गुरु पूरी तरीके से टूट गये थे और जिस प्रकार से उनके नीति-सिद्धांतों एवं नजरिये की उपेक्षा उनकी पार्टी द्वारा की गयी, इससे वह और भी ज्यादा आहत हुए. डॉ. मंडल ने कहा कि टुंडी, तमाड़ में चुनावी राजनीति में शिबू सोरेन की हार और उन्हीं लोगों के साथ सरकार बनाने का निर्णय बहुत ही आत्मघाती रहा जिन्होंने यह कहा था कि उनकी लाश पर ही झारखंड का गठन किया जायेगा. डाॅ. मंडल ने कहा कि आज वैसे ही लोग सरकार के नजदीकी और सरकार की नाक के बाल बने बैठे हैं जिन्होंने ताउम्र झारखंड गठन का विरोध और झारखंड में विविध क्षेत्रों में जारी शोषण, उत्पीड़न और अकुशल राजनीति एवं प्रशासनिक व्यवस्था का समर्थन किया था. डॉ. मंडल ने कहा कि शुरुआती दौर में लंबे वर्षों तक उनका और शिबू सोरेन का चोली-दामन का साथ रहा और उन दोनों ने एक-दूसरे के साथ कंधा-से-कंधा मिलाकर जिस रूप में झारखंड और यहाँ के लोगों के लिये काम किया है वह ना भूलने वाली एक वैसी कहानी है जो अद्भुत है. डॉ मंडल ने कहा कि वर्तमान झारखंड मुक्ति मोर्चा से मतभेद के बावजूद वह आज इस बात को कहने की स्थिति में हैं कि शिबू सोरेन जैसा कोई भी नहीं है और उनके जैसा जमीन से जुड़ा नेता बहुत मुश्किल से किसी भी देश और प्रदेश को मिलता है. लेकिन सबसे ज्यादा अफसोस की बात यह है कि उनके नीति-सिद्धांत, विचारधारा और व्यवहारिक योग्यता के साथ ही उनके अनुभव की जैसी अपेक्षा झारखंड में की गयी है वह भी कभी भी भुलायी नहीं जा सकेगी.