दिव्या देशमुख ने कोनेरू हम्पी को हराकर जीता फिडे महिला शतरंज विश्व कप का खिताब

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : भारत की दिव्या देशमुख ने हमवतन कोनेरू हम्पी को टाईब्रेक में हराकर सोमवार को जॉर्जिया के बटुमी में फिडे महिला शतरंज विश्व कप का खिताब जीत लिया। 19 वर्षीय दिव्या ने पहले गेम में संतुलित ड्रॉ खेलने के बाद, मौजूदा महिला विश्व रैपिड चैंपियन हम्पी के खिलाफ दूसरे रैपिड गेम में जीत हासिल की। दूसरे गेम में काले मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने अनुभवी हम्पी की अंतिम गेम की गलतियों का फायदा उठाकर बढ़त हासिल की और अपने युवा करियर की सबसे बड़ी जीत हासिल की।

41.6 लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी अपने नाम की : मैच के निर्णायक क्षण में जब मुकाबला भारी मोहरों के साथ ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था, हम्पी ने मोहरों की बलि देकर मैच को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन दिव्या के दबाव में उनका यह दांव नाकाम रहा। दिव्या ने जल्द ही अपनी रानी और एक हाथी की अदला-बदली की, ताकि वह ऐसा एंडगेम बना सके जहाँ वह अपनी मोहरों और समय की बढ़त के दम पर बढ़त हासिल कर सकें और ऐसा ही हुआ। निर्णायक क्षण तब आया, जब हम्पी ने 54वीं चाल में …Rxf4 खेला, जिससे दिव्या के लिए एक फाइल खुल गई और उनके प्यादे को प्रमोशन की ओर बढ़ने का रास्ता मिल गया। दिव्या ने 67वीं चाल f5 के साथ लगभग खेल पर अपनी पकड़ खो दी थी, जिससे हम्पी को मुकाबले में वापसी का मौका मिल सकता था, लेकिन समय के दबाव में हम्पी ने 67वीं चाल पर प्यादा बढ़ाने का गलत फैसला किया, जिससे उनका खेल वहीं समाप्त हो गया। 38 वर्षीय हम्पी ने 75वीं चाल के बाद हार स्वीकार कर ली। यह टूर्नामेंट में किसी ग्रैंडमास्टर के खिलाफ दिव्या की लगातार चौथी जीत थी। इससे पहले उन्होंने चीन की झू जिनर को प्री-क्वार्टरफाइनल में, भारत की डी. हरिका को क्वार्टरफाइनल में और चीन की तान झोंगयी को सेमीफाइनल में हराया था। इस जीत के साथ दिव्या ने $50,000 (41.6 लाख रुपये) की पुरस्कार राशि भी अपने नाम की, जबकि हम्पी को $35,000 (29.1 लाख रुपये) मिले।

फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीतने को दिव्या ने अपनी किस्मत का खेल बताया : भारत की युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने सोमवार को फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीतने के बाद इसे अपनी किस्मत का खेल बताया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ उन्होंने ग्रैंडमास्टर बनने का सपना भी पूरा कर लिया। बटूमी, जॉर्जिया में खेले गए फाइनल टाईब्रेक में दिव्या ने अपनी हमवतन और अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को कड़े मुकाबले में हराया। उन्होंने दूसरी रैपिड गेम में रोचक रूक एंडगेम में जीत दर्ज की। खिताब जीतने के बाद दिव्या ने फिडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे अभी भी इसे समझने में समय लगेगा,मुझे लगता है कि यह किस्मत थी कि मैं इस तरह ग्रैंडमास्टर बनी। इससे पहले तो मेरे पास एक भी नॉर्म नहीं था। और टूर्नामेंट शुरू होने से पहले मैं सोच रही थी कि नॉर्म कहां मिलेगा। और अब मैं ग्रैंडमास्टर हूं!” 19 वर्षीय दिव्या देशमुख भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनी हैं। उनसे पहले यह उपलब्धि कोनेरू हम्पी, आर. वैषाली और हरिका द्रोणावल्ली ने हासिल की थी। हालांकि, जीत दर्ज करने के बावजूद दिव्या मानती हैं कि उनके एंडगेम कौशल में अभी सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा, “मुझे एंडगेम्स सीखने की ज़रूरत है। मुझे लगता है मैंने कहीं कुछ गड़बड़ की। यह आसान जीत होनी चाहिए थी। शायद मुझे g4 की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। शायद मुझे सिर्फ रूक a3, रूक f3, फिर रूक g3 खेलना चाहिए था और वो जीत होती।” विश्व कप जीत को अपने करियर की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हुए दिव्या ने उम्मीद जताई कि यह शुरुआत भर है। उन्होंने कहा, “यह जीत मेरे लिए बहुत मायने रखती है। लेकिन अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है। मैं चाहती हूं कि यह सिर्फ एक शुरुआत हो।”