Ashutosh Jha
काठमांडू : नेपाल-भारत विकास मंच के आयोजन में काठमांडू में “दक्षिण एशिया में आतंकवाद की स्थिति और दीर्घकालीन समाधान” विषयक विचार गोष्ठी सम्पन्न हुई। रविवार को बत्तीसपुतली स्थित होटल तपस में हुई इस गोष्ठी में विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने अपने विचार रखे। जनता समाजवादी पार्टी नेपाल के अध्यक्ष एवं पूर्व विदेश मंत्री उपेंद्र यादव ने कहा कि दक्षिण एशिया में आतंकवादी गतिविधियों को कम करने में भारत को नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद को किसी भी विचारधारा या आंदोलन से जोड़कर देखने की प्रवृत्ति पर आपत्ति जताई और कहा कि चाहे यह राष्ट्रवाद, धर्म या पृथकतावादी आंदोलन के नाम पर पैदा हो, इसका स्वरूप हमेशा अमानवीय और मानव विरोधी होता है। यादव ने बताया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर इसका सबसे अधिक प्रभाव है, जबकि भूटान, भारत और बांग्लादेश में भी इसकी गतिविधियां देखी जाती हैं।
आतंकवाद को जन्म लेने से रोकना चाहिए : पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी नेपाल के अध्यक्ष राजेंद्र महतो ने कहा कि आतंकवाद को जन्म लेने से रोकना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई बार राज्य भी आतंक का सृजन करता है, जब शांतिपूर्ण आंदोलन पर गोली चलाई जाती है। महतो ने स्पष्ट किया कि नेपाल में किसी भी प्रकार का आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है। नेपाली कांग्रेस के नेता एवं पूर्व रक्षा मंत्री डा. मीनेंद्र रिजाल ने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए भारत–चीन संबंध मजबूत होना अनिवार्य है। उन्होंने माओवादी सशस्त्र आंदोलन को राजनीतिक विद्रोह बताया और कहा कि भारत पर किसी भी तरह के आतंकी या सुरक्षा हमले में नेपाल की भूमि का उपयोग नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि भारत–चीन संबंध बिगड़ने से नेपाल के विकास और अन्य क्षेत्रों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने अपने कार्यपत्र में कहा कि आतंकवाद केवल सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक आयामों से जुड़ी एक जटिल समस्या है। उन्होंने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव को क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद, पृथकतावादी आंदोलन, धार्मिक कट्टरता और राज्य प्रायोजित गतिविधियों से प्रभावित बताया।कार्यक्रम की अध्यक्षता नेपाल–भारत विकास मंच के अध्यक्ष रामकिशोर सिंह ने की और संचालन निर्मला सुवेदी ने किया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि दक्षिण एशिया आतंकवाद का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है और इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी समन्वय आवश्यक है।