दो दिन से ड्रग्स इंस्पेक्टर से संपर्क साधने की कोशिश हुई नाकाम

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प्रतापपुर कब आए, क्या जांच किया, क्या दवा दुकान संचालकों को निर्देश दिए मीडिया को कोई जानकारी नहीं

अजय राज
प्रतापपुर(चतरा): बुधवार को जिला औषधि निरीक्षक कैलाश मुंडा प्रतापपुर प्रखंड पहुंच विभिन्न दवा दुकानों की जांच की। ड्रग्स इंस्पेक्टर के प्रतापपुर आने की भनक लगते हीं प्रखंड के कई दवा दुकान के शटर गिरा दिए गए। खबर की पुष्टि के लिए लगातार एक संदेश संवाददाता के द्वारा जिला ड्रग्स निरीक्षक को कॉल लगाया गया परंतु उन्होंने कॉल उठाना मुनासिब नहीं समझा। अलबता कुछ देर के बाद मोबाइल नॉट रीचेबल भी हो गया। अब सबसे बड़ा सवाल यह है की जब सरकारी पदाधिकारी इतने संवेदनशील तथा जीवन रक्षक दवाओं के जांच तथा निरीक्षण के लिए यदा कदा हीं सही प्रखंड मुख्यालय कुच करते हैं तो फिर जांच की पारदर्शिता से क्यों घबराते हैं । मीडिया को क्यों दूर रखते हैं। जब की भोले भाले गांव के लोगों में भी यह जानकारी तथा अवेयरनेस फैलाने की जरूरत होती है की जो महंगी से महंगी दवाएं आप बिमारी ठीक करने के लिए ले रहे हैं वो वाकई में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन तथा ड्रग्स कंट्रोल ऑफ इंडिया से परमिटेड है या नही। क्या दुकानदार द्वारा एथिकल दवा के नाम पर जेनरिक दवा तो नही दिया जा रहा है। कई बार अखबारों में पढ़ने सुनने को मिलती है की भोले भाले गरीब लोगों से एथिकल दवा के दाम लेकर लगभग चार गुना कम दाम वाले जेनरिक दवा दे दी जाती है। ड्रग्स इंस्पेक्टर का कर्तव्य है की वो मेडिकल दुकानों का लाइसेंस चेक करें, जो लोग दुकान संचालित कर रहे हैं उनके पास वैध फार्मासिस्ट की डिग्री है या नही इसकी जांच पड़ताल करे। साथ हीं यह जांचना की क्या दवाइयां स्वच्छता, पारदर्शिता और ग्रेडिंग के कानूनी मानकों को बनाए रखी हैं या नही।। निरीक्षण में यह भी देखना जरूरी होता है की दवाइयां का क्रय विक्रय का रिकॉर्ड नियमानुसार संधारित हो रहा है या नही साथ हीं जो दवाइयां बेची जा रही हैं वो प्रतिबंधित तो नही है या जो दवाइयां एक्सपायर हो चुकी हैं उनका भी नियमानुसार संधारण किया गया है या नहीं।बहरहाल खबर लिखे जाने तक भी जिला औषधि निरीक्षक कैलाश मुंडा जो की चतरा जिला के प्रभार में हैं तथा लातेहार पदस्थापित हैं। उनसे संपर्क नही हो पाया।।