दो दिवसीय ऐतिहासिक मुड़मा जतरा मेला शुरू

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पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने दीप जलाकर किया जतरा का शुभारंभ

Eksandeshlive Desk

रांची: आदिवासियों की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक ऐतिहासिक मुड़मा जतरा मेला बुधवार को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शुरू हुआ। दो दिवसीय इस राजकीय जतरा मेले का उद्घाटन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

उद्घाटन समारोह में श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड की सांस्कृतिक विविधता में एकता की अनोखी मिसाल देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि “अलग-अलग भाषा, संस्कृति और देवी-देवता होने के बावजूद आदिवासी एक हैं।” मरांडी ने जतरा की भव्यता और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की बात कही।

इस अवसर पर कृषि, सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की परंपरा और सभ्यता 65 हजार वर्ष पुरानी है। उन्होंने मुड़मा जतरा को “आदिवासी एकता और पहचान का प्रतीक” बताया।

सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि यह मेला आदिवासियों की एकता और संघर्ष की गाथा है। उन्होंने सरना कोड की मांग को संसद में मजबूती से उठाने का भरोसा दिलाया।

समारोह में असम के सांसद कामख्या प्रसाद तिवारी, राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा के केंद्रीय महासचिव विद्यासागर केरकेट्टा, नुपूर तिवारी, भौवा उरांव समेत कई गणमान्य अतिथियों ने अपने विचार रखे।

कार्यक्रम का संचालन रवि तिग्गा ने किया।परंपरा के अनुसार 40 पाड़हा के पहान, महतो, पुजारी, मुंडा और पैनभरा गाजे-बाजे के साथ जतरा स्थल पहुंचे और अधिष्ठात्री शक्ति के प्रतीक शक्ति खूंटा की पूजा-अर्चना की। साथ ही 40 पाड़हा के प्रतीक स्वरूप कंड़सा में दीप प्रज्वलित किया गया।

मौके पर जिला परिषद अध्यक्ष निर्मला भगत, सन्नी टोप्पो, डॉ. भूपेश कुमार, जगराम उरांव, रंथू उरांव, अनिल उरांव, कमले किस्पोट्टा, महादेव उरांव, शिव उरांव, सुनील उरांव, मंगरू भगत, रबुल अंसारी, मनोज किस्पोट्टा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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