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पेट्रोलिंग वाहन के सामने से गुजरती है बालू की गाड़ियां ,पुलिस रहती हैं मौन
बड़कागांव : लोगों ने कहा अवैध बालू का कारोबार हो रहा है, मैंने नहीं सुना, सूत्रों ने भी जानकारी दी की रात में बालू धड्ले से बेचा जा रहा है , मैंने नजरअंदाज कर दिया , पर जब मैं खुद अपनी आंखों से रात के अंधेरे में बालू के अवैध धंधे को होते देखा, तो मेरी आंखें फटी रह गई ’ रात के अंधेरे में इस अवैध धंधे को अपने कैमरे में कैद करना बड़ी चुनौती थी, क्योंकि रातों-रात हो रहे लाखों रुपए के इस अवैध खेल को हम बिगाड़ने वाले थे ’ जिंदगी दाव पर लगाकर इस अवैध धंधे के एक-एक हरकत को अपने कैमरे में कैद कर रहा था, जिसका अगले हीं दिन अखबार के माध्यम से पर्दाफाश होने वाला था ’
आपको बता दें कि इन दिनों बड़कागांव में अवैध रूप से बालू का कारोबार धड़ले से हो रहा है ’ अवैध इसलिए की 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू उठाव पर केंद्र सरकार के द्वारा पूर्णरुपेन प्रतिबंध लगा हुआ है , फिर भी बालू माफिया बालू के अवैध धंधे में लगे हुवे हैं , प्रतिदिन सैकड़ो ट्रैक्टर बालू ऊचे दामो में शहरों में खपाया जा रहा है.
बालू यार्डो मे किया जा रहा है अवैध भंडारण ’
इस अवैध बालू के धंधे में बालू यार्ड मलिक का अहम रोल है , बालू यार्ड मालिक अवैध तरीके से नदियों से उठाया बालू को यार्ड में जमा करते हैं क्योकि यार्ड में जमा बालू लीगल माना जाता है, और रात में इस अवेध बालू को ट्रैक्टर, टर्बो और हाईवा के माध्यम से बेचा जाता है. बड़कागांव से हजारीबाग रात में बालू का अवैध कारोबार होता है , जिसमें ट्रैक्टर टर्बो और हाईवा के माध्यम से बालू ढोया जाता है , जिसमें कई वाहन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बताए जाते हैं , कैमरे में कई ऐसी बालू की गाड़ियां कैद हुई, जिसके नंबर प्लेट नहीं थे या फिर नंबर छुपा दिये गए थे . हमारे कैमरे में जो तस्वीर कैद हुई है वो हैरान करने वाली है ,बालू से लदे ट्रैक्टर और टर्बो पेट्रोलिंग दस्ते के सामने से गुजर रही है और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कतरी है ’ एक समय ऐसा आता है की पुलिस की गाड़ी आगे-आगे और बालू गाड़ी पीछे-पीछे चल रही होती है , हमें लगता है पुलिस इस बालू लदे गाड़ी को रोक कर चेक करेगी , पर बालू लदा टर्बो आगे निकल जाता है और पुलिस वापस लौट आती है ’ रात के अंधेरे में मैंने यह भी देखा की मोटरसाइकिल से कोयला बेचने जा रहे युवक पुलिस के आगे पैसा फेंक कर जा रहे थे, जिसे पुलिस बाद में बड़ी हीं बेशर्मी से उठा लेती है . एक रात लगभग 11:00 बजे बड़कागांव अंचलाधिकारी की गाड़ी बड़कागांव थाने के बाहर मिला , थाने के बाहर कुछ बालू कारोबारीयों को भी देखा गया ’ सूत्र बताते हैं कि बालू कारोबारियों के साथ सीओ और पुलिस की सेटिंग हो रही थी ’ फिर उसी रात लगभग तीन चार बजे भोर में दर्जनों बालू की गाड़ियां बड़कागांव से हजारीबाग की ओर जाते हुए देखी गई ’ सूत्रों से मिली इस जानकारी की पुष्टि हमारा अख़बार नहीं करता है. बालू के इस अवैध धंधे पर जब बडकागांव थाना प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा , की ऐसी कोई बात नहीं है , कोई भी अवैध बालू का कारोबार नहीं हो रहा है , जितने भी बालू जा रहे हैं सब लाइसेंसी है ’ अब सवाल यह उठता है , कि जब बालू लाइसेंसी हैं , तो रात में क्यों ढ़ोया जाता है .बड़कागांव के अंचलाधिकारी बालेश्वर राम से बालू के अवैध कारोबार पर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा की बिना लाइसेंस के बालू ले जाने वालो पर कार्रवाई की जा रही है और अगर बालू यार्ड में अवैध भण्डारण हो रहा है तो उस पर भी कार्रवाई की जा रही हैं, मेरे दुसरे सवाल में जब मैंने सीओ साहब से पुछा कि जब आपके द्वारा कार्रवाई की जा रही है तो हर रात दर्जनों ट्रेक्टर अवैध बालू नदियों से निकालकर कैसे बेचा जा रहा है इस सवाल को सुनते हीं उन्होंने फोन काट दिया ,इस मामले में जिला खनन पदाधिकारी अजीत कुमार से जब बात करना चाहा तो उन्होंने कहा मै मीटिंग में हूँ बाद में बात करेंगे ’ हालांकि जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि बड़कागांव में एनजीटी लगने के बाद मात्र एक वैध बालू डंपिंग यार्ड है जहां से बालू ले जाया जा सकता है और सूचना के अनुसार उस डंपिंग यार्ड में अब तक बालू खत्म हो जानी चाहिए थी, क्योंकि एनजीटी 10 जून से ही लागू है ’ अर्थात यदि लाइसेंसी बालू भी समाप्त हो चुकी है ,तो फिर सवाल उठता है की रोज दर्जनों ट्रेक्टर बालू कहाँ से निकला जा रहा है.बड़कागांव थाना अंतर्गत सिरमा-छावनिया नदी, कंडतरी नदी , हहरो नदी, मंझला बाला नदी , सोनपुरा नदी, साढ-शिबाडीह नदी , बदमाशी नदी, गोंदलपूरा इत्यादि नदियों से बालू का उठाव बदस्तूर जारी है ’ बालू का उठाव बालू माफिया बड़े ही सातिराना तरीके से करते हैं ’ अमूमन नदियों से बालू उठाने का समय सुबह 4:00 बजे भोर से 8:00 बजे दिन तक करते हैं , कई बार तो शाम में 6:00 बजे से रात के 10:00 बजे तक ट्रैक्टर की लाइट के सहारे बालू उठाया जाता है।
अगर इस अवेध बालू के कारोबार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो एनजीटी का कोई मतलब नहीं बनता और पर्यारण संतुलन के साथ साथ सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है.