Eksandeshlive Desk
खूंटी : एशियन यूथ पैरा गेम्स 2025, दुबई में खूंटी जिले के होनहार तीरंदाज झोंगो पाहन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित किया है। उन्होंने टीम इवेंट में स्वर्ण पदक और व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक जीतकर जिले और देश का नाम रोशन किया। रिकर्व यू-21 ओपन मिक्स्ड टीम स्पर्धा में झोंगो पाहन ने साथी तीरंदाज भावना के साथ मिलकर फाइनल मुकाबले में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को 6–2 से पराजित कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह जीत भारत के लिए गर्व का क्षण रही। वहीं व्यक्तिगत स्पर्धा में भी झोंगो पाहन का प्रदर्शन सराहनीय रहा। सेमीफाइनल में उन्होंने मलेशिया के बीआईएन मोहम्मद फौजी को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल मुकाबले में चीन के जावेन लूओ से कड़े संघर्ष के बाद उन्होंने रजत पदक हासिल किया।
विद्यालय से शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय सफर : खूंटी की उपायुक्त आर रोनिता ने शनिवार को झोंगो पाहन को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उपायुक्त ने कहा कि झोंगो पाहन की उपलब्धि जिले के अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। खूंटी के सुदूरवर्ती गांव सिल्दा के रहने वाले 17 वर्षीय झोंगो पाहन ने यह साबित कर दिया है कि यदि हौसला बुलंद हो तो कठिनाइयाँ भी सफलता की राह में सीढ़ी बन जाती हैं। झोंगो की यह उपलब्धि न केवल खूंटी बल्कि पूरे झारखंड राज्य के लिए गर्व का क्षण है। झोंगो एक साधारण किसान परिवार से आते हैं। उनके पिता छोटे किसान हैं और घर में पांच भाई-बहन हैं। आर्थिक तंगी और शारीरिक दिव्यांगता दोनों ही उनके जीवन की बड़ी चुनौतियाँ थीं। लेकिन झोंगो ने हार मानने के बजाय इन चुनौतियों को अपनी ताकत बना लिया। वर्ष 2023 में झोंगो पाहन का नामांकन जिला मुख्यालय स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय में हुआ। यहीं से उनके जीवन की दिशा बदल गई। विद्यालय के प्रशिक्षक आशीष कुमार और दानिश अंसारी ने उन्हें बांस का धनुष थमाया और तीरंदाजी की बुनियादी शिक्षा प्रदान की। सीमित संसाधनों में शुरू हुआ यह सफर जिले के पूर्व उपायुक्त शशि रंजन व अन्य अधिकारियों की मदद से जल्द ही उपलब्धियों की कहानी बन गया। जनवरी 2025 में झोंगो ने जयपुर में आयोजित पैरा नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इस जीत ने ही अब उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया है। हालांकि इस सफर में सबसे बड़ी चुनौती थी ।आधुनिक तीरंदाजी उपकरण। एक प्रोफेशनल धनुष की कीमत लगभग तीन लाख रुपये थी। इस कठिन परिस्थिति में कोच दानिश अंसारी ने अपने स्तर पर अभ्यास के लिए धनुष उपलब्ध कराया।
विद्यालय बना उम्मीद की किरण : झोंगो पाहन की सफलता केवल झोंगो की नहीं, बल्कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय की भी है, जहाँ झोंगो ने पहली बार तीरंदाजी थामा और अपने पहले स्कूल, फिर जिले, उसके बाद राज्य और अब देश के लिए पदक जीतने का सपना देखा। वर्ष 2023 में विद्यालय की प्राध्यापिका प्रतिमा देवी, कोच आशीष कुमार, दानिश अंसारी और प्रबंधन के आपसी सहयोग से स्कूल में तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना हुई थी। आज यह केंद्र नक्सल प्रभावित, अनाथ और एकल अभिभावक परिवारों के 25 बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है। इनमें से 5 बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं, जबकि 2 बच्चों का चयन भारतीय खेल प्राधिकरण में हुआ है। गो 11वीं के छात्र हैं और खूंटी के मॉडल स्कूल में अध्ययनरत हैं। सीमित संसाधनों में यह अंतरराष्ट्रीय मुकाम हासिल करना उनकी अटूट लगन और समर्पण का प्रमाण है। अपनी सफलता पर झोंगो ने कहा — “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारतीय टीम का हिस्सा बन पाऊँगा। जब कोच सर ने पहली बार धनुष दिया था, तभी सपना देखा था कि एक दिन भारत का नाम रोशन करूंगा। अब जब दुबई जाने का मौका मिला है, तो मैं देश के लिए पदक जीतना चाहता हूँ। मेरी दिव्यांगता मेरी कमजोरी नहीं, मेरी ताकत है।” वहीं, कोच आशीष कुमार कहते हैं। “झोंगो जैसे बच्चों की सफलता पूरे झारखंड के लिए प्रेरणा है। सीमित संसाधनों में रहकर भी उन्होंने यह साबित किया कि इच्छाशक्ति हो तो हर बाधा छोटी है। वहीं कोच दानिश अंसारी ने कहा “हमारा उद्देश्य केवल तीरंदाजी सिखाना नहीं, बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास जगाना है। झोंगो की सफलता से अब बाकी बच्चों में भी नई ऊर्जा आई है।
