Eksandeshlive Desk
रांची : नेशनल फोरम ऑफ विकर सेक्शन ऑफ द सोसाइटी के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. शहदेव राम ने कहा कि झारखंड सरकार के कृषि मंत्रालय के अधिनस्थ मत्स्य निदेशालय में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों को विभाग द्वारा आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। मामला एसीपी एवं एमएसीपी का है।
उन्होंने कहा कि पांचवें वेतन आयोग में यह सिफारिश थी कि अगर कोई कर्मचारी एक ही पद पर 10 वर्षों से अधिक कार्यरत है तो उन्हें एसीपी यानि अग्रीम कैरियर प्रगति के तहत दूसरे स्केल के वेतन का लाभ दिया जाता है। छठे वेतन आयोग ने भी इसे जारी रखा, फिर सातवें वेतन आयोग ने एसीपी की जगह एमएसीपी यानि मोडिफाइड एसोयर्ड कैरियर प्रोग्रेशन के तहत कर्मचारियों को सेवा के दस साल के उपरांत अगले वेतन का वित्तीय लाभ दिया जाता है, यह एक वित्तीय स्कीम है जिसके तहत उन्हें पूरे कैरियर में तीन बार फाईनेशियल अपग्रेडेशन का लाभ मिलता है, जिसमें 10वें, 20वें और 30वें साल में दिया जाता है, किन्तु मत्स्य निदेशालय एक ऐसा विभाग है जहां पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों को जान बुझकर उपरोक्त वित्तीय लाभ से वंचित किया जा रहा है, जिसमें कार्यरत रवि रंजन कुमार, बिरेन्द्र कुमार बिनहा, निर्मला प्रभा मिंज व मरियम मुर्मू शामिल हैं, जो लगभग अपनी सेवा के 30 वर्ष गुजार चुके हैं, किन्तु आज तक उनलोगों को तीन की जगह एक भी वित्तिय उन्नयन का लाभ नहीं दिया जाना वेतन आयोग की सिफारिश, सर्वोच्च न्यायलय के न्यायादेश संख्या-1991 एण्ड एस०एस०सी० 109 एवं एस०सी०सी०-570 इतना ही नहीं, कार्मिक मंत्रालय के अधिनस्थ कार्मिक विभाग भारत सरकार के आदेश संख्या-35034/3/2015 Estt. (D) 27/28 सितम्बर 2016 एवं नं0-22034/4/2020 Estt. (D) दिनांक 23 मार्च 2020 का खुल्मखुल्ला उल्लंघन है।
इस संबंध में संगठन द्वारा राज्य के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव तथा कृषि मंत्रालय के सचिव को पत्र निर्गत किया जा रहा है। बताते चलें कि मत्स्य विभाग में अनुसूचित जनजाति से संबंधित बिना आधार के मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किये जाने का मामला अनुसूचित जनजाति आयोग भारत सरकार के पास मामला लंबित है तथा इस संबंध में आयोग द्वारा सचिव को नोटिस जारी किये जा चुका है।