क्या अमित सिन्हा के बहाने मुख्य आरोपी सहित अन्य को बचाने की चल रही है गंभीर साजिश
अजय राज
प्रतापपुर(चतरा): प्रतापपुर प्रखंड अंतर्गत बभने, रामपुर तथा योगियारा पंचायत के पंचायत सचिवों द्वारा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र निर्गत जैसे अति गंभीर मामले में एफआईआर दर्ज होने के ढाई महीने बीत जाने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं सबसे ताज्जुब कि बात तो यह है कि इतने बड़े पैमाने पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाने के मामले के बाद ढाई महीने से बिना सूचना के पंचायत व प्रखंड कार्यालय से फरार चल रहे दोनों संबंधित पंचायत सचिव अक्षयवट चौबे तथा जयनंदन सिंह पर विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं की गई है ? यह बात सवालों के घेरे में है। दरअसल फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने में इन दोनों पंचायत सचिव के बयान पर एक और व्यक्ति अमित सिन्हा पर भी मामला दर्ज किया गया है। दोनों पंचायत सचिवों का कहना है कि हम दोनों का लॉगिन आईडी अमित सिन्हा चलाता था। यह बात अपने आप में जितना हास्यास्पद है उतना ही गंभीर भी है तथा अपनी गलती को दूसरे के सिर पर थोपने जैसा है। सवाल यह है कि आपने किस अधिकार और किसके कहने पर सरकारी लॉगिन पासवर्ड आईडी जैसा अति संवेदनशील विभागीय गोपनीय चीज किसी भी ऐरा गैरा नथु खैरा को दे दिया और वो भी पूरे 8 महीने तक। ये बाते सिर्फ और सिर्फ खुद को तथा उच्चतर पदाधिकारियों को बचाने तथा अपनी गंभीर साजिश को दूसरे के माथे मढ़ने की कोशिश के तहत कहा जा रहा है। सूत्र तो ये भी बताते हैं कि इस फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने में बड़े पैमाने पर पैसों का खेल हुआ है जो गंभीर जांच के बाद दूध के दूध तथा पानी का पानी हो जाएगा।फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाया जाना तब और गंभीरता को उजागर करता है जब ये सारे जन्म प्रमाण पत्र पोषक क्षेत्र से बाहर के जिलों के बनाए गए हों। मालूम हो कि प्रतापपुर प्रखंड के उल्लेखित तीनों पंचायतों के पंचायत सचिव के लॉगिन से 1 सितंबर 2024 से 5 मई 2025 तक लगभग 8 महीने के अंदर कुल 15,835 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र निर्गत किए गए है जिसमें बभने पंचायत से 4431, रामपुर पंचायत से 6357 तथा योगियारा पंचायत से 5047 फर्जी जन्मप्रमाण पत्र बनाए गए हैं। जो अति गंभीर साजिश को दर्शाता है। चूंकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध लगाने जैसा है अतः इस अति संवेदनशील मामले पर केंद्र सरकार को संज्ञान में लेते हुए इसके पीछे कौन-कौन से लोगों की संलिप्ता है किन लोगों की साजिश है तथा इतने बड़े पैमाने पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने का क्या क्या उद्वेश्य है उसकी केंद्रीय एजेंसी से जांच कराए जाने की आवश्यकता है। क्यों कि यह सिर्फ फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने की हीं बात तक सीमित नहीं है बल्कि यह देश द्रोह जैसे अपराध तथा नेशनल सिक्योरिटी को भी ताख पर रखे जाने जैसा अति गंभीर मामला है। अतः ऐसे मामलों में भारतीय निर्वाचन आयोग, गृह मंत्रालय भारत सरकार तथा एनआईए जैसे एजेंसी को सक्रिय भूमिका निभाते हुए इसके पीछे की साजिश को बेपर्दा करने की जरूरत है ताकि कोई भी रैकेट दोबारा इस तरह की हिमाकत करने की जुर्रत न कर पाए। मालूम हो कि झारखंड के कई जिलों में फर्जी वोटरों का मामला सहित बांग्लादेशी रोहंगिया घुसपैठियों का मामला यदा कदा उठता आया है तथा इस बात को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकार के बीच कई बार आरोप प्रत्यारोप भी लगते रहे हैं ऐसे में चतरा जिला के अति पिछड़ा प्रखंड प्रतापपुर के बभने, रामपुर तथा जोगियारा पंचायत से हजारों की संख्या में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाया जाना एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है। वहीं इतने बड़े फर्जी बाड़े तथा इस तरह के अति गंभीर मामले में संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा उदासीनता दिखाना इस ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं इस मामले में दोषियों को बचाने की साजिश में पूरा अमला लगा हुआ है। वजह साफ है कि जब इस मामले में गंभीरता से जांच होगी तो कई पदाधिकारियों पर भी गाज गिरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।। बहरहाल यह सूचना निकल कर सामने आ रही है कि आनन फानन में सभी फर्जी 15 हजार 8 सौ 35 जन्म प्रमाण पत्र को रात दिन लग कर डिलीट करने की कवायद चल रही है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह डिलीट करने का प्रोसेस शुरुआती जानकारी के साथ ही नहीं किया जाना चाहिए था? क्या जिन जिन लोगों के द्वारा फर्जी उद्देश्य को लेकर ये जन्म प्रमाणपत्र बनवाए गए थे वे अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो गए होंगे? क्या इन फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों के आधार पर उन लोगों के द्वारा फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी, बैंक खाता, आवासीय प्रमाण पत्र या पासपोर्ट आदि जैसे सर्टिफिकेट नहीं बनवाए जा चुके होंगे? इसकी क्या गारंटी है?
बहरहाल एफआईआर होने के ढाई महीने बाद भी संबंधित पंचायत सचिव की गिरफ्तारी नहीं होने के सवाल पर थाना प्रभारी कासिम अंसारी ने कहा कि कार्रवाई चल रही है एक अन्य अभियुक्त अमित सिन्हा की गिरफ्तारी के बाद ही मामला स्पष्ट हो पाएगा। जबकि फरार चल रहे दोनों पंचायत सचिव पर अब तक किसी भी प्रकार की विभागीय कार्रवाई आदि नहीं होना क्या दर्शाता है? इस सवाल पर बीडीओ अभिषेक कुमार का कहना है कि दोनों पंचायत सचिव पर आरोप पत्र गठित करते हुए जिला पंचायती राज कार्यालय को भेजा जा चुका है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अति गंभीर मामले में दोषियों पर क्या कोई कार्यवाई होती है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह हीं ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा।
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