गांडेय उपचुनाव का परिणाम बदलेगी राज्य की दिशा और दशा

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Eksandeshlive Desk

गिरिडीह। गांडेय उपचुनाव की मतगणना कल 4 जून को ही कोडरमा लोकसभा के मतगणना के साथ ही होगीम। इसके लिये भी प्रशासनिक स्तर पर सारी तैयारियां पुरी कर ली गयी। इसके गणना के लिये 16 टेबल बनाये गए है। जिनमे 24 राउंड में मतगणना सम्पन्न होगी। झारखण्ड प्रदेश के सियासती राजनीति का एक नई कहानी गढ़ने का केंद्र बिंदु बनने जा रहे राज्य का गांडेय विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के परिणाम पर पूरे प्रदेश के लोगों की निगाहें टिकी है।पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जमीन घोटाला मामले में ईडी ने अपने शिकंजे में फांस कर गिरफ्तार किया। उसी जमीन घोटाला मामले में वह जेल में बन्द हैं। हेमन्त सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी धर्मपत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन ने झामुमो के बागडोर और कमान संभाला है। घर से निकल कर कल्पना सीधे राजनीतिक भंवर में कूद गयी। उन्होंने चंद दिनों में ही देश की राजनीतिक नेताओं के बीच अपनी एक अलग पहचान बना ली है। उनके कुशल नेतृत्व क्षमता की न केवल झामुमो के लोग बल्कि पूरा देश कायल हो गया है।

कल्पना मुर्मू सोरेन गांडेय उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है। उनका मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी दिलीप कुमार वर्मा रहे हैं। दोनों के बीच चुनावी महासंग्राम में काफी भीषण टक्कर हुई है। क्षेत्र की जनता ने अपना निर्णय 20 मई को ही सुना दिया है। जनता ने अपने अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुनाव मैदान में खड़े इन दोनों के साथ कुल 11 प्रत्याशियों के किस्मत ईवीएम में बन्द कर दिया है।
हालांकि वास्तविकता स्थिति क्या रही है। क्षेत्र के लोगों ने किसके सिर पर जीत का ताज बांधा है। यह जानने को लोग काफी उत्सुक हैं।

हालांकि अमूमन यह देखा गया है कि प्रदेश में अब तक जितने भी उपचुनाव हुए है। उन पर सत्ता पक्ष के उम्मीदवार ही विजयी रहे हैं। सिर्फ रामगढ़ उपचुनाव इसमे अपवाद रहा है। जहां से विपक्ष की जीत हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों के माने तो गांडेय सीट राज्य का हॉट सीट रहा है। यदि यहां से कल्पना मुर्मू सोरेन चुनाव जीत जाती हैं तो यह सीट राज्य की दिशा और दिशा बदलने वाली सीट साबित होगी। बहरहाल चुनाव का नतीजा तो ईवीएम में बन्द है। जो कल खुलेगा। हालांकि लोग उसे जानने को काफी उत्सुक हैं।

गांडेय विधानसभा क्षेत्र का इतिहास

गांडेय विधानसभा क्षेत्र 1972 तक गावां विधानसभा क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है। उसके बाद यह स्वतंत्र अस्तित्व में आया। हालांकि वर्ष 1952 से अब तक यह क्षेत्र सर्वाधिक 5- 5 बार कांग्रेस और झामुमो के कब्जे में रहा है। वहीं दो दो बार यहां से जनसंघ और भाजपा ने जीत दर्ज किया है। जबकि एक- एक बार स्वतंत्र पार्टी और एसएसपी ने यहां से चुनाव जीता है।

गांडेय विधानसभा क्षेत्र के स्वतंत्र अस्तित्व में आने के बाद वर्ष 1977 में यहां से पहली बार जनता पार्टी (जनसंघ) के प्रत्याशी लक्ष्मण स्वर्णकार ने चुनाव जीता। जबकि 1980 में कांग्रेस के सरफराज अहमद विजयी हुए। वहीं वर्ष 1985 और 1990 के चुनाव लगातार दो बार यह सीट झामुमो के कब्जे में चला गया। दोनों ही बार यहां से झामुमो के सालखन सोरेन ने चुनाव जीता। वर्ष 1995 में भाजपा के टिकट पर लक्ष्मण स्वर्णकार ने दूसरी बार यहां से चुनाव जीता। लेकिन पुनः वर्ष 2000 और 2005 में लगातार तीसरी और चौथी बार झामुमो के सालखन सोरेन ने यहां से चुनाव जीता। वर्ष 2009 में कांग्रेस के सरफराज अहमद ने दूसरी बार यहां से चुनाव जीता। लेकिन वर्ष 2014 में इस सीट को 15 वर्षों के बाद भाजपा की झोली में डालने का काम जयप्रकाश वर्मा ने किया। लेकिन वर्ष 2019 में पुनः यहां से झामुमो के टीकट पर सरफराज अहमद ने तीसरी बार जीत दर्ज किया। लेकिन वर्ष 2023 के 31 दिसम्बर को उन्होंने इस सीट से अपना इस्तीफा दे दिया। जिस कारण यह सीट खाली हो गया और यहां उपचुनाव हुआ है। जिसमे झामुमो प्रत्याशी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन चुनाव लड़ी है