घनश्याम गोप का अवसान, जनसेवा, धर्म और समरसता के स्तंभ का शांत हो गया दीप: बटेश्वर प्रसाद मेहता 

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हजारीबाग: जिले के विख्यात समाजसेवी स्वर्गीय पाचू गोप के सुपुत्र और समाजसेवा को समर्पित जीवन जीने वाले घनश्याम गोप का आकस्मिक निधन हो गया। 85 वर्ष की उम्र में उन्होंने शनिवार को संध्या 8 बजे मिशन हॉस्पिटल, हजारीबाग में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही झारखंड स्वतंत्रता सेनानी विचार मंच के संस्थापक बटेश्वर प्रसाद मेहता उनके आवास पहुंचे और गहरी संवेदना प्रकट की। घनश्याम गोप का संपूर्ण जीवन समाज, धर्म और जनसेवा के लिए समर्पित रहा। वर्ष 1980 से 1985 तक उन्होंने विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय भूमिका निभाई और राम जन्मभूमि आंदोलन में भी अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने राम जन्मभूमि के लिए हजारीबाग जिले में ईंट पूजन कार्यक्रम का सफल संचालन कर जिले को राष्ट्रीय अभियान से जोड़ा। अपने पिता के नाम पर स्थापित पाचू गोप जन सेवा संस्थान के माध्यम से उन्होंने पोलियो रोगियों के इलाज की व्यवस्था राधा-कृष्ण मारवाड़ी सेवा संस्थान, कोलकाता के सहयोग से करवाई। वे हिंदू मुस्लिम एकता संघ के हजारीबाग जिला अध्यक्ष के रूप में भी जाने जाते थे, और रामनवमी महासमिति के महासचिव पद पर रहते हुए 10 वर्षों तक सफल आयोजन कर अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया। धार्मिक रूप से भी वह अत्यंत समर्पित थे और अपने आवास स्थित शिव मंदिर के संरक्षक के रूप में आजीवन सेवा करते रहे। उनके निधन से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा हजारीबाग शोक में डूब गया है। उनका अंतिम संस्कार खिरगांव स्थित हजारीबाग मुक्तिधाम में किया गया। बटेश्वर प्रसाद मेहता ने भावुक होकर कहा, “घनश्याम गोप के जाने से समाजसेवा का एक युग समाप्त हो गया है। यह क्षति शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती तथा मैं पूरी तरह मर्माहत हूं। हजारीबाग ने एक सच्चे जनसेवक को खो दिया, जिनकी स्मृतियाँ और सेवाएं सदैव प्रेरणा देती रहेंगी।