Eksandeshlive Desk
धनबाद : डब्ल्यूएफईबी के 7वें ‘वर्ल्ड समिट ऑन एथिक्स एंड लीडरशिप इन स्पोर्ट्स’ में मूल्यों, नेतृत्व और खेल के अहम सवाल उठे। संस्था के झारखंड मीडिया प्रभारी अजय मुखर्जी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी। श्री श्री रबिशंकर ने कहा “आज युद्ध खेलों की तरह लड़े जा रहे हैं, और खेल युद्धों की तरह खेले जा रहे। बीते वर्षों में खेल में कीर्तिमान और प्रतिष्ठा की दौड़ में, नैतिक मूल्यों की हानि एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है, जिससे दर्शकों का विश्वास भी कई बार डगमगाया है। वहीं दूसरी ओर, जब खेल भावना और मूल्यों के साथ खेला जाता है, तो वही खेल एक पूरी पीढ़ी को प्रेरणा दे सकता है। ‘वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिज़नेस’ द्वारा आयोजित 7वें ‘वर्ल्ड समिट ऑन एथिक्स एंड लीडरशिप इन स्पोर्ट्स’ में इसी विषय पर विश्व भर से खेल, राजनीति, व्यवसाय, शिक्षा, सामाजिक संस्थाओं और चिंतन मंचों से आए वक्ताओं ने यह विचार साझा किया।
सम्मेलन में खेल को शांति निर्माण के साधन के रूप में देखने, लैंगिक समानता, मानसिक स्वास्थ्य, चरम प्रदर्शन और दीर्घायु जैसे विषयों पर विचारपूर्ण चर्चा हुई। यह भी साझा किया गया कि कैसे मैदान से प्राप्त सबक – जैसे निष्पक्ष खेल, टीम भावना, और सहनशीलता राजनीति और व्यापार में नैतिक नेतृत्व को आकार दे सकते हैं। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने अपने मुख्य भाषण में कहा, “खेल में या तो आप जीतते हैं, या किसी और को जिताते हैं। दोनों को समान उत्साह से मनाना सीखना चाहिए। खेलना ही अपने आप में आनंद का कारण है। जब हम इसे समझ लेते हैं, तो नैतिकता खेल में सहज हो जाती है। वरना वही मैदान हिंसक हो जाते हैं।” मानसिक स्वास्थ्य के पहलू पर बोलते हुए गुरुदेव ने कहा, “एक शिशु चलने से पहले भी खेलना शुरू कर देता है। खेल हमारे स्वभाव में है, फिर आज हम कहां चूक रहे हैं?” गुरुदेव ने इस ओर ध्यान दिलाया कि संगीत और खेल होते हुए भी दुनिया की एक-तिहाई आबादी अकेलेपन, अवसाद और असंतोष से जूझ रही है, यह विचारणीय है। गुरुदेव ने आगे कहा, “अगर हम जीवन को ही एक खेल मान लें, तो न युद्ध होंगे, न मनमुटाव, और न ही अविश्वास।” ‘वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिज़नेस’, जो संयुक्त राष्ट्र से विशेष परामर्शदाता दर्जा प्राप्त संस्था है, बीते दो दशकों से नैतिक मूल्यों के संवाहक के रूप में कार्यरत है। गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के मार्गदर्शन में इस मंच ने यूरोपीय संसद, फ़ीफ़ा, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट और जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों के साथ मिलकर यह संदेश पहुँचाया है कि मूल्य और प्रदर्शन विरोधाभासी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।