Eksandeshlive Desk
रांची : गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा, कृष्णा नगर कॉलोनी, रातु रोड में शनिवार को छठे नानक धन धन श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश पर्व मनाया गया।
इस अवसर पर सजाये गए विशेष दीवान की शुरूआत सुबह 8.00 बजे हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों द्वारा श्री आसा दी वार के पाठ से हुई।
तत्पश्चात गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जेवेंदर सिंह जी ने गुरु के जीवन पर प्रकाश डाला। साध संगत को बताया कि छठे गुरु श्री हरगोविंद साहिब जी का जन्म 1595 में हुआ। वे गुरु अर्जुन देव जी की इकलौती संतान थे। सिख समुदाय को एक सेना के रूप में संगठित करने का श्रेय इन्हें ही जाता है। इन्होंने सिख कौम को योद्धा-चरित्र प्रदान किया था।
हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी ने पंज प्याले पंज पीर छठम गुरु बैठा गुर भारी एवं श्री हरकिशन धिआइयै जिस डिठै सब दुख जाए तथा तेरा कीया मीठा लागै हर नाम पदारथ नानक मांगे। जैसे कई शबद गायन कर साध संगत को गुरवाणी से जोड़ा।
गुरुघर के सेवक मनीष मिढ़ा ने संगत को मिस्सी रोटी का इतिहास बताते हुए कहा कि गुरु हरगोबिंद साहिब जी के माता-पिता, गुरु अर्जन देव जी और माता गंगा जी को उनकी शादी के बाद लंबे समय तक कोई संतान नहीं हुई। एक दिन माता गंगा जी ने गुरु अर्जन देव जी से अनुरोध किया कि वे उन्हें एक बच्चे का उपहार दें क्योंकि गुरु जी संगत को उनकी जो भी इच्छा हो, उसे पूरा करते हैं। गुरु अर्जन देव जी ने माता गंगा जी से एक बच्चे का आशीर्वाद पाने के लिए एक गुरसिख की सेवा (निस्वार्थ सेवा) करने के लिए कहा। इसलिए, माता गंगा जी बाबा बुड्ढा जी से मिलने के लिए निकल पड़ीं, जो एक भक्त गुरसिख थे। दीवान में गुरुनानक सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल, अशोक गेरा, हरविंदर सिंह बेदी, हरगोबिंद सिंह, सुरेश मिढ़ा, बिनोद सुखीजा, नरेश पपनेजा, जीवन मिढ़ा, मोहन काठपाल, महेंद्र अरोड़ा, हरीश मिढ़ा, अमरजीत गिरधर, इंदर मिढ़ा, रमेश पपनेजा, आशु मिढ़ा, नवीन मिढ़ा, राजकुमार सुखीजा, अनूप गिरधर, हरविंदर सिंह हन्नी, सागर थरेजा, कमल मुंजाल, रमेश तेहरी, जीतू अरोड़ा, सुरजीत मुंजाल, महेश सुखीजा, रमेश गिरधर, रौनक ग्रोवर, चरणजीत मुंजाल, हरजीत बेदी, सुभाष मिढ़ा, राकेश गिरधर, जगदीश मुंजाल, बसंत काठपाल, भगवान दास मुंजाल, अश्विनी सुखीजा, पंकज मिढ़ा, जीतू काठपाल सहित अन्य शामिल थे।
