Eksandeshlive Desk
हजारीबाग : पुलिस ने हार्डकोर माओवादी पूर्व जोनल कमांडर सुनील गंझू को गिरफ्तार किया है। सुनील गंझू के ऊपर 54 मामले झारखंड के विभिन्न थाने में दर्ज हैं। इसे झारखंड का टेरर भी कहा जाता था। राज्य का बहुत चर्चित बेलतू नरसंहार मामले में भी यह शामिल था। इसमें ग्रामीणों की हत्या कर दी गई थी। सुनील गंझू वर्ष 1990 से भाकपा माओवादी में सक्रिय था। वर्ष 2018 में जेल से निकलने के बाद वह फिर से संगठन में शामिल हुआ और विभिन्न घटना को अंजाम दे रहा था। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भाकपा माओवादी का उत्तरी छोटानागपुर के रीजनल कमांडर सहदेव महतो और सब जोनल कमांडर नताशा को शेल्टर देने का काम करता था। अभी भी झारखंड में जो दस्ता सक्रिय है वह इसका एक सदस्य था।
अन्य संदिग्ध जंगल का लाभ उठाकर भागने में सफल रहे : यह जानकारी सोमवार को एसपी अंजनी अंजन ने प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि जोराकाट में 4 से 5 संदिग्ध व्यक्ति सक्रिय हैं। पुलिस ने घेराबंदी कर पकड़ने का प्रयास किया तो एक व्यक्ति जिसकी हाथ में झोला था पकड़ा गया। अन्य संदिग्ध जंगल का लाभ उठाकर भागने में सफल रहे। जब संदिग्ध पकड़े गए तो पूछताछ में उसने अपना नाम सुनील गंझू बताया जो मूल रूप से चतरा जिले के पत्थलगड्डा का रहने वाला है। वहीं तलाशी में उसके झोले से नक्सली लेटर हेड, पर्चा बरामद किया गया है। पूछताछ में बताया कि चार से पांच की संख्या में संगठन में साथ चलते हैं। एसपी ने बताया कि नक्सली कोल कंपनी, ठेकेदार, कोयला व्यापारियों से संगठन से विस्तार के लिए लेवी वसूलने आए थे। पुलिस की मानी जाए तो इसकी गिरफ्तारी से नक्सलियों को एक बड़ा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि सुनील गंझू को हजारीबाग क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों की सहायता के लिए पहुंचना था। यह एक दुर्दांत नक्सली है। इसकी गिरफ्तारी ने नक्सली संगठन की कमर तोड़ दी है। बेलतू नरसंहार में इसकी संलिप्तता थी। वर्ष 2001 में हजारीबाग जिले के बेलतू में हथियारबंद माओवादियों ने 13 लोगों को मार डाला था। बताया जाता है कि ग्रामीणों का सिर काटने के बाद नक्सलियों ने उससे फुटबॉल खेला था। झारखंड बनने के बाद राज्य में सामूहिक हत्या की यह सबसे पहली घटना थी।
पुलिस के हत्थे चढ़ा 16 वर्षों से फरार पीएलएफआइ नक्सली जुनूल सांगा : खूंटी : उग्रवादी घटना, हत्या का प्रयास, आर्म्स एक्ट, पुलिस पर हमला सहित विभिन्न संगीन धाराओं का वांछित पीएलएफआई नक्सली जुनूल सांगा आखिरकार 16 वर्षों बाद पुलिस के हत्थे चढ गया। तोरपा थाना की पुलिस ने सोमवार को उसे सुनरूई गांव से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। पीएलएफआई नक्सली जुनूल सांगा (31) के खिलाफ वर्ष 2009 में तोरपा थाने नामदर्ज मामला दर्ज हुआ था। उसके खिलाफं 147/148/149/353/307/414ए 17 सीएलए सहित अन्य धाराओं के तहत तोरपा थाने में 2009 में दर्ज हुआ था। उस समय जुनूल पीएलएफआई का सक्रिय सदस्य था। जुनूल के खिलाफ न्यायालय की ओर से वारंट जारी किया गया था, लेकिन वह लगातार फरार चल रहा था। पुलिस उसकी तलाश में लंबे समय से जुटी थी। गुप्त सूचना के आधार पर सोमवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
