हेमंत सरकार के विरोध में बड़े आंदोलन की तैयारी

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(डॉ0 सहदेव राम)
नेशनलप्रेसिडेंट
एनएफडब्लूएसएस

रांची: झारखण्ड में अनुसूचित जातियों की मांगो को अनदेखी करने वाली हेमंत सरकार के विरोध में राज्य के दलित संगठनों द्वारा रणनीति बनाई जा रही है। ज्ञातव्य है कि झारखण्ड में लगभग 60 लाख अनुसूचित जातियों की संख्या है। किन्तु हेमंत सरकार के दूसरी पारी के बावजूद भी दलितों के अधिकार और अस्तित्व की रक्षा करने में सरकार विफल रही है। लगातार मांग उठती रही है कि झारखण्ड में अनुसूचित जाति अत्याचार को रोकने के लिए आयोग का गठन किया जाय। इस संबंध में स्वयं कांग्रेस के प्रभारी श्री के. राजू को 14 फरवरी को कांग्रेस कार्यालय में राज्य में अनुसूचित जातियों की दशाओं पर विस्तृत रूप से चर्चा किया था, जिसमें श्री राजू ने कहा था कि इस संबंध में वो सरकार से बात करेगें, जिसमें कहा गया है कि बी.जे.पी. सरकार में अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया था, किन्तु हेमंत सरकार के आते ही इसे बंद करवा दिया गया। वही विदेशो में उच्च शिक्षा के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को नजर अंदाज करते हुए दूसरे समाज के छात्रों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा गया। राज्य में लगभग 400 सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। जबकि इसमें पढ़ने वाले अधिकतर दलित समाज के छात्र थे। इस संबंध में शिक्ष मंत्री श्री रामदास सोरेन ने कहा है कि राज्य में 7930 सरकारी स्कूल हैं, जिसमें केवल एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं, वहीं 8000 सरकारी स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक यानि 3.81 लाख बच्चों का भविष्य इतने की ही संख्या में निर्भर है। इससे पता चलता है कि सरकार दलितों, आदिवासियों के बच्चों को शिक्षा से दूर रखना चाहती हैं, क्यो कि सरकारी स्कूलों में अधिकतर समाज के दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गो के छात्र अध्ययन करते हैं। दूसरी ओर 103 स्कूल में कोई छात्र नहीं है जबकि 103 स्कूल में 17 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनका वेतन 22000 से लेकर 80000 है।
राज्य में बलात्कार की घटना में बढ़ोतरी हो रहा है। एन.सी.आर.बी. के आंकड़े बताते हैं कि 2020 से लेकर अब तक बालात्कार की घटना 17 प्रतिशत की पहुंच गई है, जिसमें अनुसूचित जाति महिलाओं के बालात्कार के 67 केश उच्च न्यायालय में लंबित है, जिसके कारण सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग तथा इंडियन एक्सप्रेस के आंकडे बताते हैं कि राज्य में 1449 बालात्कार के केस लंबित है। वहीं नेशनल क्राईम रेकॉर्ड ब्यूरो ने वर्ष 2022 का आंकड़ा जारी किया है जिसमें हर राज्यों का आपराधिक आंकड़ा जारी किया गया है। उसके अनुसर झारखण्ड में कुल 48726 मामले दर्ज हुये हैं जिसका प्रतिशत 58 प्रतिशत हो गया है। वहीं झारखण्ड में हत्या के 1550 मामले चल रहे हैं।
राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार से यहाँ के मूलवासी त्रस्त हैं, प्रखण्ड में जाति प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी पैसे देने पड़त हैं वहीं दाखिल खारिज के नाम पर जमीन मालिकों से मनचाहे रकम वसुली जा रही है।अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को जानने के बावजूद भी सरकार ने विराम लगाने की कोशिश नहीं की है।
उपरोक्त सच्चाईयों के आधार पर झारखण्ड की सरकार अत्याचार, बालात्कार, रिश्वत खोरी रोकने में विफल साबित हो रही है। केवल भाषण दिया जाता है कि मूलवासी का सरकार है, जब कि सबसे ज्यादा शोषित मूलवासी हैं। राज्य के दलित संगठनों ने हेमंत सरकार के विरोध में विगुलफूंक दिया हैं, जिसका समर्थन पिछड़े वर्गो के साथ-साथ आम जनता का भी मिल रहा है और जल्द ही राज्य में सरकार के विरोध में बड़े आंदोलन की शुरूआत की जायेगी।