हेमंत सरकार पुलिस प्रशासन को बंधक बनाकर चला रही सत्ता का खेल : बाबूलाल मरांडी

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Eksandeshlive Desk

रांची : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्ति मामले को लेकर राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार पुलिस प्रशासन को बंधक बनाकर सत्ता का खेल खेल रही है, जिसका सीधा असर पूरे तंत्र पर पड़ रहा है। मरांडी ने सोशल मीडिया एक्स पर शनिवार को लिखा है कि 17 वरिष्ठ डीएसपी के प्रमोशन की प्रक्रिया महीनों से ठप पड़ी है। पुलिसकर्मी अपने अधिकार से वंचित हैं क्योंकि सरकार ने एक अवैध नियुक्ति थोप रखी है। उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान और कानून की धज्जियां उड़ाकर सरकार सिर्फ अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए पूरी व्यवस्था को पंगु बना चुकी है। उन्होंने कहा कि यूपीएससी ने अनुराग गुप्ता को प्रोन्नति बैठक में शामिल करने से मना कर दिया, जिसके कारण बैठक तक रद्द कर दी गई। इसके बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लोकतंत्र का गला घोटने पर उतर आई हैं। सरकार ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी की कुर्सी पर बैठा रखा है, जबकि न तो यूपीएससी और न ही भारत सरकार उन्हें मान्यता देती है।

मुख्यमंत्री की मनमानी का जवाब जनता भी देगी और संविधान भी : मरांडी ने कहा कि वे सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं और सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके हैं। वर्तमान में वे एजी की ओर से जारी सशर्त पे स्लिप पर वेतन ले रहे हैं, जो न्यायालय के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि सत्ता बचाने और अपने गुनाहों को छुपाने के लिए सरकार ने उन्हें डीजीपी बनाया हुआ है। सिर्फ पुलिस ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी इनके इशारे पर काम कर रहा है और हेमंत सोरेन के काले कारनामों से जुड़े मामलों को दबाने का काम कर रहा है। मरांडी ने सवाल किया कि जब यूपीएससी और गृह मंत्रालय ही अनुराग गुप्ता को डीजीपी मानने से इनकार कर चुके हैं, तो झारखंड सरकार किस आधार पर उन्हें इस पद पर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बिना डीजीपी के ही बैठक करने के लिए यूपीएससी से अनुरोध कर रहे हैं, जो पूरी तरह गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस प्रमोशन जैसी नियमित प्रक्रिया ही ठप हो जाए तो इसका सीधा असर कानून-व्यवस्था और पुलिस के मनोबल पर पड़ेगा। असलियत यही है कि सरकार ने पूरे सिस्टम को अपने भ्रष्ट नेटवर्क और माफियाओं की सेवा में झोंक दिया है। डीजीपी की कुर्सी अब उनके लिए ‘सुरक्षा कवच’ बन गई है ताकि उनके काले कारनामे सामने न आएं। मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन को समझना होगा कि डीजीपी संवैधानिक पद है, मुख्यमंत्री की मनमर्जी का खिलौना नहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री की मनमानी का जवाब जनता भी देगी और संविधान भी।

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