यूनिसेफ झारखंड द्वारा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देने पर उच्च स्तरीय विधायक सम्मेलन का आयोजन
Eksandeshlive Desk
रांची: बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के अक्सर अनदेखे मुद्दे को संबोधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, यूनिसेफ झारखंड ने अध्यक्ष कार्यालय के सहयोग से झारखंड विधान सभा में बच्चों के मानसिक कल्याण पर एक सभा का आयोजन किया। “बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देना: नीति-निर्माता क्या कर सकते हैं” शीर्षक वाले इस कार्यक्रम में, विधान सभा के 40 सदस्य और यूनिसेफ झारखंड के बाल अधिकार विशेषज्ञ एक उच्च स्तरीय संवाद के लिए मानसून सत्र के दौरान एकत्र हुए।
यह सभा झारखंड विधान सभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो के नेतृत्व में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य राज्य में बच्चों और किशोरों की बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को लेकर विधायकों में जागरूकता बढ़ाना और विधायी एवं नीतिगत समाधानों की खोज करना था। अध्यक्ष ने अपने संबोधन में यूनिसेफ झारखंड के प्रयासों की सराहना की और इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा: “हमारे बच्चों के संघर्ष, जो अक्सर मुस्कान या चुप्पी के पीछे छिपे होते हैं, हमारे ध्यान, सहानुभूति और निर्णायक कार्रवाई की मांग करते हैं। एक जनप्रतिनिधि के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा वातावरण बनाएं जहां हर बच्चा देखा जाए, सुना जाए और समर्थित महसूस करे।”
हमारे पास फर्क लाने के उपकरण हैं—सही सवाल पूछकर, सार्वजनिक विमर्श से भ्रांतियाँ हटाकर, हमारे समुदायों में मानसिक कल्याण को बढ़ावा देकर और स्कूल काउंसलरों की उपलब्धता सुनिश्चित करके। यह मुद्दा निरंतर ध्यान, सामूहिक कार्रवाई और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की मांग करता है।
यूनिसेफ झारखंड फील्ड ऑफिस की प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्रा ने बच्चों पर पड़ रहे जटिल दबावों को रेखांकित करते हुए कहा: “बच्चे शैक्षणिक तनाव, सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयों, हिंसा के संपर्क और स्कूलों व समुदायों में मनो-सामाजिक समर्थन की कमी जैसी बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य के आसपास फैली व्यापक भ्रांतियां इन चुनौतियों को और गहरा कर देते हैं, जिससे बच्चे अक्सर अकेलापन और असहायता महसूस करते हैं।” आस्था अलांग, संचार, वकालत और साझेदारी विशेषज्ञ, यूनिसेफ झारखंड, ने बाल विकास में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा:
“मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण, बाल विकास के महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर कम समझे और उपेक्षित पहलू हैं। एक बच्चे का मानसिक कल्याण उसके समग्र विकास, सीखने और भविष्य की संभावनाओं की नींव है। इसके बावजूद, मानसिक स्वास्थ्य भारत के लाखों बच्चों और किशोरों के लिए, जिसमें झारखंड भी शामिल है, एक छिपी हुई चुनौती बनी हुई है।” प्रीति श्रीवास्तव, बाल संरक्षण विशेषज्ञ, यूनिसेफ झारखंड, और डॉ. वनेश माथुर, स्वास्थ्य अधिकारी, ने राज्य में बच्चों और किशोरों को प्रभावित करने वाली मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत किया और आगे की राह के लिए सुझाव दिए।
इस चर्चा का संचालन यूनिसेफ झारखंड की संचार कंसल्टेंट शिवानी द्वारा किया गया, जिसमें माननीय विधायकों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गलत धारणाओं को तोड़ने, बच्चों के मानसिक कल्याण के बारे में जागरूकता बढ़ाने और झारखंड में बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता को बेहतर बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच प्रदान किया गया। यह सभा झारखंड में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने के लिए राजनीतिक और संस्थागत समर्थन को विस्तार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हर बच्चे और किशोर को बिना किसी भेदभाव के, सुलभ सेवाएं मिल सकें और वे सशक्त होकर आगे बढ़ सकें।