Eksandeshlive Desk
जमुआ : तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है…ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है। फिलवक्त जमुआ प्रखंड के ग्रामीण इलाकों का यही मंजर आम है। पानी के लिए पानी की तरह सरकारी पैसा बहाने के बाद भी ग्रामीणों का गला प्यास से सुख रहा है हर घर को नल से जल देने की योजना जमुआ प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में फ्लॉप साबित हुआ है। बोरिंग हो गया, मीनार बन गया, टँकी लग गई पर ग्रामीणों को पानी का एक बूंद भी मयस्सर नहीं रह है। इस महत्वकांक्षी योजना को मूर्त रूप देने में लगे ठेकेदार आधा-अधूरा कार्य छोड़कर कहां अंतर्ध्यान हो गए किसी को कुछ नहीं मालूम। नल जल योजना की मोनेटरिंग कर रहा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। प्रखंड के धुरैता में सोना ठाकुर के घर के आगे आज से साल भर पहले उक्त योजना की नींव डाली गई। बोरिंग हुआ, मीनार बना, टँकी भी लग गई बावजूद इसके स्थानीय ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे हैं। इस संयंत्र से गांव के 26 घरों को नल से जल पंहुचाना था। आखिर इस महती योजना पर कैसे ग्रहण लगा हुआ है, इस बात का जवाब किसी के भी पास नहीं है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के पास भी इस सवाल का कोई माकूल जवाब नहीं है। इधर भीषण गर्मी के कारण कुंआ तालाब और छोटे छोटे नदी नाले सुख चुके हैं। पेयजल के विकल्प के तौर पर क्षेत्र में लगाये गए चापाकल भी दम तोड़ने की स्थिति में हैं, जाहिर है पेयजल के लिए ग्रामीणों को विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है