Eksandeshlive Desk
रांची : इस्लाम में जिहाद एक पवित्र शब्द है। जिसका अर्थ है संघर्ष और प्रयास। यानी अपनी आत्मा को सुधारना, अपनी इच्छाओं पर लगाम लगाना और उन्हें नियंत्रित करना। उक्त बातें ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस उलेमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना मुफ़्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी ने कहीं। उन्होंने मंगलवार को एक प्रेस बयान में कहा कि आज मीडिया में जिहाद का अर्थ गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, दिखाया जा रहा है, जबकि जिहाद का अर्थ अलग है।
उन्होंने कहा किदूसरा स्तर एक नेक समाज, एक स्वच्छ और स्थिर समाज का निर्माण करना है, और तीसरा स्तर न्याय और निष्पक्षता की व्यवस्था स्थापित करना है। इसके लिए अपनी जान, माल और समय का बलिदान देना जिहाद का अर्थ नहीं है। मीडिया के माध्यम से जो बताया या फैलाया जा रहा है वह गलत है। इस्लाम, पवित्र कुरान और पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जीवन को बदनाम करने की कोशिश है। इस्लामी जिहाद, जो क़ुरान और हदीस में है, इस जिहाद का मतलब है किसी को भी मारना, जुल्म करना, सताना हराम यानि गलत है। महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों पर हमला करना नाजायज़ और हराम है। साथ ही, युद्ध और विजय की जीत के बाद भी शहरों, गाँवों, खेतों, चरागाहों, जंगलों और अन्य जीवों पर हमला करना मना है। इसलिए, वर्तमान युग में जिहाद के संदेश का गलत विचारधारा के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है। इस्लाम का संदेश न्याय और निष्पक्षता की स्थापना, कमज़ोर समाज के अधिकारों की बहाली और मुसलमानों और अन्य धर्मों के अनुयायियों के बीच समानता और मानवता को बढ़ावा देना है। पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की जीवनी अवश्य पढ़ें। ताकि यह आम लोगों को सुखी जीवन जीने और प्रेम को मज़बूत करने में एक मील का पत्थर साबित हो सके। सबक फिर पढ़ सदाकत का अदालत का शुजाअत का, लिया जाएगा तुझ से काम दुनिया में इमामत का।
