Eksandeshlive Desk
लातेहार : 1 सितंबर को झारखंड के नक्सल इतिहास में सबसे बड़ा आत्मसमर्पण का रहा है। प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) के 9 सदस्यों ने एक साथ में आत्मसमर्पण किया था। आत्मसमर्पण की सबसे बड़ी उपलब्धि रही कि झारखंड पुलिस को चार AK-47, एक AK-56 समेत 12 हथियार मिले है।
आत्मसमर्पण ने जेजेएमपी के दो दशकों के खौफ के साम्राज्य को लगभग खत्म ही कर दिया है। जेजेएमपी के साम्राज्य को खत्म करने में दो आईपीएस अधिकारीयों का सबसे बड़ी भूमिका रहा है। दोनों आईपीएस की मेहनत ने पांच महीनों के अंदर में ही जेजेएमपी को खत्म कर दिया है पलामू के जोनल आईजी सुनील भास्कर एवं पुलिस कुमार गौरव ने जेजेएमपी के खिलाफ ऑपरेशन से लेकर के आत्मसमर्पण तक का प्लान तैयार किया और उन्हें लगातार सफलता भी मिलते चला गया।
इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन और आत्मसमर्पण नीति बना खात्मा का प्रमुख कारण
गर्मी के दौरान में प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद को लेकर हाई लेवल की बैठकें हुई थी, जिसमें इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया गया। इस दौरान में जेजेएमपी के टॉप कमांडरों के खिलाफ संपत्ति की जांच का प्रक्रिया शुरू किया गया था। इस दौरान पुलिस अधिकारी जेजेएमपी के टॉप कमांडरों के घर गये और आत्मसमर्पण नीति के बारे में जानकारीयां दी जिस पर कमांडरों के परिजनों ने आत्मसमर्पण को लेकर सहमति भी दिया था। इसी बीच पुलिस ने खुफिया सूचना के आधार पर अभियान को जारी रखा था जिसमें जेजेएमपी के सुप्रीमो पप्पू लोहरा एवं जोनल कमांडर प्रभात गंझू 24 मई को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गये।
इन दो नक्सली के मारे जाने के बाद से कमजोर हो गया था जेजेएमपी
सुप्रीमो पप्पू लोहार और प्रभात गंझू के मारे जाने के बाद से ही नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद कमजोर हो गया था। पप्पू लोहरा के मारे जाने के बाद से दूसरा सबसे बड़े कमांडर लवलेश गंझू ने भी आत्मसमर्पण कर दिया था। पप्पू लोहरा के पास ही संगठन का सारा पैसा जमा रहता था और वही हथियारों की खरीददारी करता था। पप्पू लोहरा के हाथ में ही झारखंड जन्ममुक्ति परिषद का कमान हुआ करता था और नीति निर्धारण भी पप्पू लोहार ही करता था।
नक्सली संगठन जेजेएमपी के खात्मे का टाइम लाइन
25 अप्रैल 2025 को लातेहार में जेजेएमपी के तुलसी , पलेंद्र और प्रमोद गंझू ने आत्मसमर्पण किया
24 मई 2025 को लातेहार के ईचाबार में जेजेएमपी का सुप्रीमो सूर्यदेव लोहरा उर्फ सोमेद लोहरा उर्फ पप्पू लोहरा और प्रभात गंझू पुलिस मुठभेड़ में मारे गये।
16 जुलाई को पप्पू लोहरा के बाद में जेजेएमपी के सुप्रीमो बने लवलेश गंझू ने आत्मसमर्पण कर किया।
1 सितंबर को पुलिस मुख्यालय लातेहार में जेजेएमपी के 9 सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया।
आत्मसमर्पण करने वालों में 5 लाख के इनामी रविंद्र यादव , अखिलेश यादव , बलदेव गंझू , मुकेश राम , 3 लाख के इनामी में पवन उर्फ राम प्रसाद महतो , राजू राम , विजय यादव , श्रवण सिंह , मुकेश गंझू के नाम शामिल है।
आत्मसमर्पण में जोनल आईजी का था अहम भूमिका
जेजेएमपी के नक्सलियों के आत्मसमर्पण में पलामू के जोनल आईजी सुनील भास्कर की बड़ी भूमिका रहा है। जोनल आईजी की पहल पर ही सभी ने आत्मसमर्पण किया है जेजेएमपी के खिलाफ पलामू के जोनल आईजी एवं लातेहार एसपी ने मिलकर योजना तैयार की थी और क्रियान्वित भी किया।
नक्सलियों ने कैसे किया आत्मसमर्पण
पलामू जोन में नक्सली संगठन जेजेएमपी के सुप्रीमो पप्पू लोहरा , प्रभात गंझू समेत कई के खिलाफ पुलिस ने संपत्ति जांच की प्रक्रिया शुरू किया था । इस दौरान में पुलिस को इस बात की जानकारी मिला हुआ था कि पप्पू लोहरा ने जमीन कारोबार में पैसे इन्वेस्ट किया हुआ है। अपने करीबियों के नाम पर संपत्ति खरीदा है संपत्ति की जांच एवं लगातार अभियान के बाद जेजेएमपी के सभी कमांडर काफी दबाव में आ गये थे इसी बीच पुलिस अधिकारियों ने नक्सलियों के परिजनों को आत्मसमर्पण नीति के होने वाले फायदे के बारे में बताया गया था। पप्पू लोहरा के बाद बचे हुये सदस्यों के परिजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी ने एक साथ आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस खुफिया सूचना के आधार पर लगातार अभियान चला रही है संपत्ति जांच की भी प्रक्रिया शुरू किया गया है। आत्मसमर्पण नीति के फायदों के बारे में भी नक्सलियों के परिजनों को जानकारी दी गई थी। संपत्ति जांच , खुफिया सूचना के आधार पर अभियान एवं आत्मसमर्पण नीति के फायदे के कारण ही सभी ने सरेंडर किया है और जेजेएमपी खत्म हो गया। सरकार की योजना नई दिशा पुनर्वास नीति काफी अच्छा है , जिसके बारे में परिजनों को भी जानकारी दी गई थी। सभी के सरेंडर में परिजनों ने भी अच्छी भूमिका निभाई है पलामू जोन में नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई किया जा रहा है, जिसका फायदा भी अब दिख रहा है। कई मुठभेड़ हुये हैं जिनमें कई नक्सली मारे भी गये है। जेजेएमपी के खिलाफ योजना तैयार किया गया था जिसमें पुलिस को काफी सफलता प्राप्त हुई है। आत्मसमर्पण में पुलिस मुख्यालय और सीआरपीएफ का महत्वपूर्ण भूमिका रहा है:- सुनील भास्कर, जोनल आईजी, पलामू
माओवादियों से अलग होकर 2008 में बना था जेजेएमपी
2008 में भाकपा माओवादियों से एक दस्ता अलग होकर झारखंड जनमुक्ति परिषद नामक नक्सली संगठन बना हुआ था।झारखंड जनमुक्ति परिषद को 2009 में सरकार ने प्रतिबंधित किया था। माओवादियों के जोनल कमांडर संजय यादव ने करीब 150 दोस्तों के साथ में अलग होकर जेजेएमपी नामक संगठन को बनाया था। 2010 -11 में संजय यादव का मौत होने के बाद में उपेंद्र , अंशु यादव समेत कई अन्य कमांडरों ने भी नेतृत्व किया था बाद में पप्पू लोहरा जेजेएमपी का सुप्रीमो बना और सारा कमान अपने हाथ में ले लिया था।
