by sunil Verma
रांची : झामुमो ने केंद्र सरकार और भाजपा पर ईडी और सीबीआई के बाद अब इलेक्शन कमीशन के जरिए राज्य सरकार को फिर से अस्थिर करने का आरोप लगाया है। जिस प्रकार से इलेक्शन कमीशन की टीम आज झारखंड आयी और जिस प्रकार से बैठकें कर रही हैं, इससे पदाधिकारियों में भ्रम और भय पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड में धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक दृष्टिकोण से छठ तक चुनाव संभव नहीं है। हर स्टेट का समय पूर्व चुनाव करा कर क्या हासिल हो जायेगा। आखिरकार भाजपा को किस बात का डर है। पूरे देश में हर स्टेट का समय पूर्व चुनाव करा कर क्या हासिल हो जाएगा, इसका जवाब भाजपा को देना चाहिए। भाजपा यह नहीं चाहती है कि राज्य की सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचे। अगर झारखंड में जबरन समय पूर्व चुनाव थोपने का प्रयास हुआ तो झामुमो उसका मुंह तोड़ जवाब देगा। उक्त बातें पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरूवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कही।सावन से लेकर कार्तिक तक पर्व त्योहार और खेतीबाड़ी का समय है ।भट्टाचार्य ने कहा कि जुलाई से अगस्त के बीच श्रावण मास रहेगा।भादो में भी देश के लाखों लोग देवघर आते हैं। इसके अतिरिक्त भादो में जन्माष्टमी, करमा सहित कई तरह के पर्व-त्योहार होते हैं। आश्विन में दो अक्टूबर को महालया है। तीन अक्टूबर को नवरात्र शुरू होगा। 12 अक्टूबर को विजयदशमी होगी। 17 अक्टूबर को लक्खी पूजा है जो पूरे संथाल और कोल्हान क्षेत्र में उत्सव के तौर पर मनायी जाती है। 21 अक्टूबर को अमावस्या और काली पूजा। इसके बाद 7 नंवबर को दीपावली और फिर छह दिन बाद छठ है। इतना ही नहीं छठ में यहां पर निवास करने वाले लाखों यूपी, बिहार के लोग अपने पैतृक स्थान वापस जाते हैं, जो कार्तिक मास के बाद लौटते हैं. पूरा कार्तिक पर्व-त्योहार ही होता है. अगर बारिश की बात की जाये तो, झारखंड में मानसून लेट है। इसलिए जुलाई से सितंबर तक खेती-बाड़ी का समय रहेगा। अब ऐसी स्थिति में चुनाव करना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।
10 नवंबर से 20 दिसंबर तक कभी भी करा लें चुनाव, स्वागत है
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के एक निर्णय के अनुसार इलेक्शन कमीशन को यह निर्देश मिला है कि 30 सितंबर तक जम्मू और काश्मीर में चुनाव संपन्न करा लें। सरकार ने इसी की आड़ में हरियाणा, महाराष्ट और झारखंड में चुनाव कराने की मंशा पाल रखी है, मगर यह गलत होगा। जहां-जहां पर भाजपा की सरकार है, वहां पर वह समय पूर्व चुनाव क्यों नहीं कराती है। आखिरकार झारखंड में तीन महीने और चुनाव नहीं होगा तो क्या पहाड़ टूट पड़ेगा।दरअसल यह पूरी साजिश झारखंड सरकार के घोषित योजनाएं और सरकारी नौकरी देने के शिड्यूल को देखते हुए रची जा रही है ताकि इसका लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाये. इलेक्शन कमीशन झारखंड में 10 नवंबर से 20 दिसंबर तक कभी भी चुनाव करा ले, स्वागत है. क्योंकि झारखंड में वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल का अवधि समाप्ति 4 जनवरी 2025 है। इसलिए भाजपा इलेक्शन कमीशन की आड़ में झारखंड के लोगों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे, नहीं तो इसका विरोध होगा।