झारखंड में सबसे अधिक रांची में हुई बारिश, औसत से 198 प्रतिशत अधिक

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Eksandeshlive Desk

रांची/पश्चिम सिंहभूम/पूर्वी सिंहभूम : झारखंड में सबसे अधिक राजधानी रांची में बारिश हुई है। रांची में अब तक औसत से 198 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। रांची में 190.7 मिमी की तुलना में 568.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। यह आंकड़ा मौसम विभाग की ओर से एक जून से 29 जून तक दर्ज की गई है। वहीं राज्य के जिन जिलों में अधिक बारिश दर्ज की गई है। उनमें लातेहार में औसत से 190, सरायकेला-खरसावां में 144,रामगढ़ में 136, पूर्वी सिंहभूम में 137, लोहरदगा में 108, सिमडेगा 91, पश्चिमी सिंहभूम में 84 और खूंटी 89 प्रतिशत अधिक औसत बारिश रिकॉर्ड की गई है। वहीं पूरे झारखंड में 181.4 मिमी के मुकाबले 327.5 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। यह औसत बारिश के 81 प्रतिशत अधिक है। इधर, रांची सहित कई जिलों में भारी बारिश को लेकर एक जुलाई को ऑरेंज अलर्ट और दो जुलाई को येलो अलर्ट जारी किया है। सोमवार को रांची में अधिकतम तापमान 29.7 डिग्री, जमशेदपुर में 32, डालटेनगंज में 31.8, बोकारो में 32.5 और चाईबासा में तापमान 30.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

सारंडा में मूसलधार बारिश से तबाही, घरों में घुसा पानी : सारंडा और लौहांचल क्षेत्र में बीते कई दिनों से हो रही लगातार भारी बारिश ने लोगों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार हो रही मूसलधार बारिश की वजह से सारंडा की ऊंची पहाड़ियों से बहकर आया पानी अब नीचले इलाकों और गुवा, बड़ाजामदा शहर में कहर बनकर टूट पड़ा है। सोमवार को बोकना के पंचमुखी मंदिर के समीप कारों नदी पर बना लोहे का पूल के उपर से पानी बह रहा है। इस मार्ग पर आवागमन ठप हो गया है। वहीं बड़ाजामदा शहर में हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि सड़कों पर करीब 4 फीट तक पानी भर गया है। बड़ा जामदा फुटबॉल मैदान बाढ़ के पानी से करीब 20 घर प्रभावित हैं। वर्षा का पानी सीधे लोगों के घरों में घुस गया, जिससे सामान का भारी नुकसान हुआ है। लोग घरों से बाहर निकलने में भी असमर्थ हैं, कई जगहों पर गाड़ियां पानी में डूब गई हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह नजारा अब हर साल की कहानी बन चुका है, और इसके लिए प्रशासन और स्थानीय अतिक्रमणकर्ता दोनों जिम्मेदार हैं। शहर में बाढ़ जैसी स्थिति का प्रमुख कारण नालियों पर हुए अतिक्रमण और जल निकासी व्यवस्था की विफलता को बताया जा रहा है। चौड़ी नालियों को लोगों ने घर, गाड़ी गैरेज और दुकानों में बदल दिया है, जिससे बारिश का पानी निकल नहीं पा रहा है। नालियों का नगर प्रशासन की ओर से सफाई नहीं कराई गई,जल निकासी के रास्ते बंद हो गए हैं।लोगों का कहना है कि हर साल बारिश आती है, और प्रशासन हर साल सोता है। जब घर डूबते हैं, तब अधिकारियों की आंख खुलती है।

भारी बारिश के बीच उपायुक्त ने लिया हालात का जायजा, दिए कई निर्देश : लगातार हो रही भारी वर्षा से उत्पन्न स्थिति का जायजा लेने के लिए सोमवार को उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी स्वयं सड़क पर उतरे। उन्होंने मानगो क्षेत्र का दौरा कर जलजमाव से प्रभावित इलाकों, स्वर्णरेखा नदी के तटीय क्षेत्रों तथा अन्य संवेदनशील स्थलों का निरीक्षण किया। इस दौरान उप नगर आयुक्त कृष्ण कुमार भी मौजूद रहे। उपायुक्त ने निचले इलाकों में जल निकासी व्यवस्था की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि जहां तत्काल सुधार की आवश्यकता है, वहां पंप सेट, ट्रैक्टर और सफाईकर्मियों की टीम को सतर्क और सक्रिय रखा जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति से तत्काल निपटा जा सके। वहीं स्वर्ण रेखा और खरकाई नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इससे अनेक घरों में पानी घुस गया है। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। उन्होंने नगर निकाय के पदाधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी नालों की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए, जलभराव की शिकायतों का त्वरित निवारण हो, तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क किया जाए और आपदा से निपटने के लिए कंट्रोल रूम 24 घटे सक्रिय रहे। मानगो नगर निगम में कंट्रोल रूम की स्थापना करते हुए पालीवार कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है ताकि किसी भी समय आवश्यक कार्रवाई की जा सके। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने जिलावासियों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें, नदी किनारे न जाएं और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन हर स्थिति पर निगरानी रखे हुए है और आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। आपात स्थिति में जिला स्तरीय कंट्रोल रूम के नंबर 0657-2444233 पर संपर्क किया जा सकता है। साथ ही मानगो नगर निगम कंट्रोल रूम के लिए सुबह 6 से अपराह्न 2 बजे तक 7004549847, अपराह्न 2 से रात्रि 10 बजे तक 9031542938 और रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 7488676759 पर कॉल किया जा सकता है।

बिजली का पोल गिरने से 24 घंटे से ठप है आवागमन : मानगो उलीडीह के खनका रोड में 24 घंटे से बिजली का पोल गिरा पड़ा है, जिससे सड़क पर आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना बिजली विभाग को दे दी है, लेकिन विभाग अब तक मूकदर्शक बना हुआ है और किसी तरह की पहल नहीं की गई है। भारी बारिश के कारण सड़क पूरी तरह गीली है और बिजली का करंट फैलने का खतरा बना हुआ है। स्थानीय लोग जान जोखिम में डालकर कभी-कभार सड़क पार कर रहे हैं। लोगों ने इस मामले की जानकारी पूर्व भाजपा नेता विकास सिंह को दी। विकास सिंह ने सोमवार को विभागीय अधिकारियों को पोल की तस्वीरें भेजते हुए कहा, “स्थानीय लोग जान हथेली पर रखकर सड़क पार कर रहे हैं, लेकिन विभाग का कहीं अता-पता नहीं है।” विकास सिंह ने बिजली विभाग के वरीय अधिकारियों से मांग की है कि इस जानलेवा खतरे से लोगों को तुरंत निजात दिलाई जाए, ताकि आवागमन सुचारू हो सके और कोई बड़ी दुर्घटना न घटे।