Eksandeshlive Desk
हजारीबाग : झारखंड राज्य में जल जंगल जमीन की लूट और विस्थापन के खिलाफ उलगुलान होगा। खुलेआम गैरमजारूआ जमीन एवं जंगल की जमीन की लूट हो रही है जिस पर जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार तमाशाबिन बने हुए हैं। उक्त बातें हजारीबाग के पूर्व सांसद और झारखंड विस्थापित संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने हजारीबाग स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकार सम्मेलन में कहीं। उन्होंने कहा कि केवल हजारीबाग में 25 हजार एकड़ जमीन से अधिक जमीन और वन विभाग की जमीन की लूट हुई है। आज से पिछले 4 वर्ष पूर्व 500 एकड़ जमीन वन विभाग की जमीन पास हुआ था लेकिन आज तक विभाग मौन है कोई कार्रवाई नहीं करती है। जिले के बड़कागांव और केरेडारी, सदर, कटकमदाग हजारीबाग के आसपास के गांव में खास महल के लगभग 20 हजार एकड़ जमीन की लूट हुई है। इस संबंध में कई जांच हुई, जांच की फाइलें जिला प्रशासन के कार्यालय और राज्य सरकार के दफ्तर में दबी रह गई किसी प्रकार की कोई कार्रवाई आज तक देखने को नहीं मिली है। एनटीपीसी बड़कागांव के पकरी बरवाडीह कोल माइंस में यहां अवैध बंदोबस्ती का एसआईटी जांच कमेटी का गठन हुआ और जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट में लिखा 3000 करोड़ रुपए से अधिक गैर मजरूआ बंदोबस्ती का भुगतान हो चुका है। एनटीपीसी द्वारा एक और जहां नदी नाले में भी खनन किया जा रहा है दूसरी ओर बड़का गांव से फतहा चौक तक सैकड़ो एकड़ जंगल की जमीन को बर्बाद कर दिया गया। इसके कई मामले झारखंड उच्च न्यायालय में लंबित है। श्री मेहता ने कहा कि जल जंगल जमीन की लूट के लिए सबको पूरे राज्य में एकजुट होने की आवश्यकता है। झारखंड आंदोलन के तर्ज पर आंदोलन करना होगा।
विस्थापित संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि सबसे आश्चर्य की बात यह है कि विगत 14 महीने से कड़कड़ाती ठंड में और लू चलती गर्मी में गोंदलपुरा सहित पांच गांव के ग्रामीण धरने पर पिछले एक वर्ष से बैठे हुए धरने पर बैठे हैं। लेकिन इसकी शुद्ध लेने वाले के लिए जिला प्रशासन तैयार नहीं है और राज्य सरकार भी नजरअंदाज कर दी है। इसी प्रकार चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के इचाकखुर्द गांव में 22 अप्रैल 2023 से सिमपुर कठौतिया रेलवे लाइन में जो गैरमजरूआ जमीन जा रही है जिसका कई दशकों से बंदोबस्त है और घर मकान किसान खेती गृहस्थी चल रही है उसका भुगतान के लिए धरना पर बैठे हुए हैं। चतरा के दूसरे इलाके में भी भारत माला रोड में गैरमजरुआ जमीन के भुगतान के लिए लगातार आंदोलन चल रहा है। इस संबंध में श्री मेहता ने कई बार पत्र झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त राजस्व सचिव एवं दोनों जिला के उपायुक्त को दिया है लेकिन पदाधिकारी मौन है। यह दिल्ली के किसान के धरने से भी अधिक दिन बीत चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। श्री मेहता ने कहा कि पूरे राज्य में आंदोलन के बगैर लोगों को न्याय नहीं मिल सकता है। अभी तक झारखंड बने 24 वर्ष बीत चुके हैं ना विस्थापन ना नियोजन नीति बनी है और दर्जनों बार सरकार के घोषणा के बाद भी विस्थापन आयोग का गठन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जून महीने में ही तमाम ऐसे लोग संगठन और दल जो विस्थापन के खिलाफ संघर्ष कर रहे है, उनका एक सेमिनार रांची में होगा जिसमें जुझारू आंदोलन करने की रणनीति बनाई जाएगी। पत्रकार सम्मेलन में निजाम अंसारी, महेंद्र राम, अवध कुमार, अधिवक्ता शंभू कुमार, शब्बीर अहमद, खतियानी परिवार के मो. हकीम मौजूद थे।