Saddam Husain
शिकारीपाड़ा/दुमका: चुनाव का मौसम गुजर चुका है और अब जनता फिर से अपने पुराने ढर्रे पर लौट रही है, जहां हजार तरह की परेशानियां एवं दिक्कतें उनका इंतजार कर रही है। शिकारीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र जंगलों और पहाड़ों से आच्छादित है जहां अधिक संख्या जनसंख्या आदिवासी समुदाय की है जिन्हें आज भी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है और यदि कहीं कहीं पेयजल के लिए जल मीनार बनाया भी गया है तो वह सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रहा है।
जी हां हम बात कर रहे हैं सिमानीजोड़ पंचायत के खजुरिया गांव की, जहां लोगों में डायरिया फैलने की सूचना पर जब पहुंचे तो देखा कि लोग पेयजल के लिए पहाड़ के झरने पर निर्भर है और 15वीं वित्त आयोग से बनी जलमिनार मात्र दिखावा साबित हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि जलमिनार के लिए सोलर एवं मोटर लगा हुआ है परंतु ना तो पाइप लाइन बिछाई गई और ना कभी जल मीनार चालू हुआ। यह देखने के लिए ना तो पंचायत प्रतिनिधियों ने कभी ध्यान दिया और ना ही सरकारी मशीनरी ने। अब इसे क्या कहा जाए, सरकार तो अपने स्तर से विभागों को विभिन्न योजनाओं के लिए धनराशि एवं निर्देश उपलब्ध करवाती है परंतु जब निचले स्तर के कर्मी एवं जनप्रतिनिधि कोताही बरततें हैं तो ग्रामीण जनता को उसका नुकसान उठाना पड़ता है। बहरहाल शिकारीपाड़ा प्रखंड के अनेकों गांव में लगातार डायरिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है तथापि प्रखंड प्रशासन एवं विभाग इसके सिर्फ तात्कालिक निदानों को छोड़कर दीर्घकालिक समस्या के समाधान पर आंख मूंदे हुए हैं जो की चिंता का विषय है।