कारगिल युद्ध में पाकिस्तानियों का दांत खट्टा करने वाले धीरज कुमार दुबे की इच्छा सरकार बुला ले युद्ध लड़ने

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Eksandesh Desk

हजारीबाग: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद समाज का हर एक तबका पाकिस्तान और आतंकियों के खिलाफ एकजुट हो रहा है। पूर्व सैनिक भी चाहते हैं कि सरकार उन्हें फिर से युद्ध के लिए बुलाए ताकि वह आतंकवादियों के आतंक का अंत कर सके। हजारीबाग के 24 साल तक लाइन ऑफ कंट्रोल और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेवा देने वाले धीरेंद्र कुमार दुबे ने सरकार से मांग की है तो दूसरी ओर उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को ठंडा करने की जरूरत है और पाकिस्तान आतंकवादियों का पनाहगार है। जिले के कटकमदाग थाना क्षेत्र अंतर्गत मयातू निवासी धीरेंद्र कुमार दुबे सीमा सुरक्षा बल से 25 साल पहले सेवानिवृत्ति हो चुके हैं पर आज भी उनके दिलों में आतंकियों के खिलाफ आग जलता हुआ दिख रहा है। इन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का विरोध किया है साथ ही दुख जाहिर किया है कि इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है की घटना का बदला लिया जाए। श्री दुबे कहा कि फौजी के दिलों में हमेशा यह आग जलती रहती है कि वह अपने दुश्मनों का खून ठंडा कर दे तथा आज पूरा बीएसएफ समेत आर्मी के जवान के मन में भी यही बात होगी। 24 साल तक सीमा की सुरक्षा करते हुए कभी भी ऐसा खौफनाक दिन नहीं देखा जब पर्यटकों को धर्म के नाम पर आतंकवादियों ने गोली मार दी हो. उन्होंने एक संदेश संवाददाता के साथ बात करते हुए कहा कि आज भी वह चाहते हैं कि सरकार इन्हें देश सेवा में बुला ले ताकि वह देश सेवा कर सकें। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक जवान का नहीं बल्कि सभी वैसे जवान जो सेवा निवृत हो गए हैं उनके मन में भी चल रही होगी क्योंकि यह जीवन देश के लिए है और देश के लिए ही जीना मरना पसंद करते हैं। धीरेंद्र कुमार दुबे कारगिल युद्ध में तंगधार क्षेत्र में 107 बटालियन के साथ फ्रंट वारीयर के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं यही नहीं अमृतसर में ब्लू स्टार ऑपरेशन में भी उनकी अहम योगदान रहा है। उनके शरीर में लगे गोली के निशान यह दिखाते हैं कि देश सेवा सर्वोपरि है। कहा कि पहलगाम में भी अपना सेवा दे चुके है उस दौरान पैदल अमरनाथ तक पर्यटकों की सुरक्षा में रहते थे पर आज वह क्षेत्र खून से लाल हो रहा है इस वजह दिल में काफी दर्द है और इस बात का अफसोस है कि इस वक्त अगर पहलगाम में होते तो आतंकवादियों को उनके सही जगह पर पहुंचा देते।