कार्तिक पूर्णिमा सह नृसिंह स्थान मेला का हुआ शुभारंभ

360° Ek Sandesh Live

हजारीबाग: देव उठान एकादशी को 1001 दिप प्रज्वलित कर कार्तिक पूर्णिमा सह नृसिंह स्थान मेला का हुआ शुभारंभ किया गया। जिले के कटकमदाग प्रखंड के खपरियावां पंचायत स्थित प्रसिद्ध नृसिंह स्थान मंदिर में इस वर्ष भी कार्तिक पूर्णिमा सह नृसिंह मेला बड़े हर्षोल्लास के साथ आयोजित होने जा रहा है। सैकड़ों वर्षों से चली आ रही यह धार्मिक परंपरा इस बार भी जिले और आसपास के क्षेत्रों में विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। मंदिर प्रबंधन समिति एवं स्थानीय प्रशासन ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा, पेयजल, प्रकाश, यातायात और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की जा रही है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री नृसिंह स्थान मंदिर में भव्य मेला लगता है, जिसमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। पूर्णिमा से पूर्व एकादशी को संध्या में 1001 दीपों से मंदिर परिसर को सजाया जाता है। रात्रि में भजन-कीर्तन, आरती और नृसिंह भगवान की विशेष पूजा-अर्चना के साथ धार्मिक वातावरण अत्यंत भक्तिमय हो उठता है। पुर्णिमा के दिन प्रातः काल से ही श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। नृसिंह भगवान के दर्शन के साथ-साथ भक्तजन यहां स्नान, दान-पुण्य, मुंडन, जनेऊ, विवाह एवं वाहन-पूजन जैसे मांगलिक कार्य भी संपन्न करते हैं। इतिहास के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना सन् 1632 में पंडित दामोदर मिश्र (दामोदर दास) द्वारा की गई थी। दामोदर दास मिश्र तंत्र मंत्र ज्योतिष आयुर्वेद के लब्धप्रतिष्ठित ज्ञाता के साथ साथ महामाया एवं‌ श्रीविष्णु के अनन्य भक्त थे जिन्होंने अपने कठीन तपस्या कर अपने तपोबल से श्रीहरि को प्रसन्न किया, मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के शांति स्वरूप में श्रीनृसिंह की लगभग पाँच फुट ऊँची ग्रेफाइट पत्थर की प्रतिमा प्राप्त कर स्थापित है। कहां जाता है कि श्री हरि ने दामोदर बाबा को स्वप्न में दर्शन दिए और बताया कि नेपाल की तराई में काकभुशुण्डि पर्वत पर मैं विग्रह रूप में मिलुंगा जिसे लाकर अपने स्थान पर स्थापित करें उन्होंने ऐसा ही किया तब से श्रीहरि का विग्रह स्थापित है। विशेष बात यह है कि मंदिर के गर्भगृह में, शिवलिंग भी विराजमान है, जो लगभग तीन फुट नीचे स्थित है — यही कारण है कि यह स्थल वैष्णव और शैव दोनों परंपराओं का संगम स्थल माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में नवग्रह, महादेव पार्वती की आलिंगनबद्ध विग्रह, सुर्यनारायण, पंचमुखी महादेव, के साथ ब्रह्मा के मानस पुत्र ऋषि नारद विराजमान हैं। गर्भगृह के बाहर संकटमोचन हनुमान माता तुलसी, मां काली , दशावतार के अलावा नवग्रह का स्थान है मंदिर परिसर में ऋषि दामोदर का वंश वृक्ष विद्यमान है । साथ ही मुख्य मंदिर के उत्तर दिशा में बाबा दामोदर की ईष्ट देवी सिद्धेश्वरी का विग्रह भी विराजमान है जिन्हें प्रश्न कर दामोदर बाबा ने अनेक सिद्धियां प्राप्त की थी, जिससे इस स्थान को विशेष स्थान प्राप्त है, शक्तिपीठ भी माना जाता है।स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थल पर पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। नरसिंह स्थान मंदिर पुजा समिति की सहमति से वर्तमान मंदिर का जिर्णोद्धार समाजसेवी सह राजनेता लम्बोदर पाठक ने सन् 1990 में प्रारंभ करवाया जो पांच वर्षों में सम्पन्न हुई सन् 1995 में विधि-विधान से मंदिर में यज्ञ आयोजित कर यथा स्थान सभी देवी देवताओं की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुआ। मेले के दौरान मंदिर परिसर के चारों ओर सैकड़ों दुकानें सजती हैं। झूले, खिलौने, मिठाइयाँ, ग्रामीण हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों के बाजार लगते हैं मेले की विशेष पहचान ईख ( कतारी) तथा गेंदा के फूलों से हैं। जहां अगर बंगले के राज्यों तक से किसान व्यापारी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं, इस दौरान अगल बगल के ग्रामीण कीर्तन और पारंपरिक संगीत प्रस्तुतियाँ दी जाती हैं, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बांधे रखती हैं। महिलाएँ पूजा-सामग्री की खरीदारी में व्यस्त रहती हैं, जबकि बच्चे झूलों व दुकानों में आनंद लेते नजर आते हैं।हजारीबाग जिला प्रशासन द्वारा मेले के सफल आयोजन हेतु विशेष तैयारी की जा रही है।
थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस बल की तैनाती, यातायात नियंत्रण, चिकित्सा शिविर, अग्निशमन वाहन और एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है।मेला क्षेत्र में अस्थायी पार्किंग, पेयजल स्टॉल और शौचालयों की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा रही है।
नरसिंह स्थान मंदिर समिति एवं श्रद्धालुओं की लंबे समय से मांग रही है कि नृसिंह स्थान को आधिकारिक धार्मिक पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाए।यह स्थल धार्मिक ही नहीं, ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। झारखंड सरकार इसे धार्मिक पर्यटन सूची में शामिल कर चुकी है परन्तु अभी तक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है धार्मिक पर्यटन स्थल में चिन्हित होने के बाद अब यहां के बुनियादी ढांचे — सड़क, प्रकाश, पानी, पार्किंग आदि में और सुधार संभव है, जिससे हजारीबाग का धार्मिक पर्यटन और मजबूत होने की उम्मीद जगती दिखाई दे रही है ।

Spread the love