Eksandeshlive Desk
काठमांडू : काठमांडू में राजशाही को वापस लाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प में दो लोगों की मौत हो गई। एक पत्रकार को जिंदा जला दिया गया, जबकि एक अन्य व्यक्ति की पुलिस गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच दिनभर शुक्रवार को चली झड़प के दौरान स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस द्वारा चलाई गई गोली से घायल एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता छवि रिजाल ने बताया कि तिनकुने क्षेत्र में हुए प्रदर्शन के दौरान उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा चलाई गई गोली लग कर घायल 29 वर्षीय सबीन महर्जन की उपचार के दौरान मौत हो गई। उन्होंने बताया कि सीने में गोली लगने के कारण मौत होने की जानकारी चिकित्सकों ने दी है।
33 प्रदर्शनकारियों के भी घायल होने की खबर : इसी तरह झड़प की रिपोर्टिंग करने के लिए गए एक पत्रकार की जिंदा जलकर मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों ने जिस भवन को आग के हवाले किया, उसी भवन से एक पुरुष का शव निकला जिसकी पहचान एक स्थानीय टीवी चैनल के कैमरामैन के रूप में की गई। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता रिजाल ने बताया कि इस पत्रकार का शव 95 प्रतिशत जले हुए अवस्था में बरामद किया गया। हालांकि प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि इसी भवन में पुलिस द्वारा बहुत अधिक मात्रा में अश्रु गैस के बुलेट रखने के कारण वहां आग पकड़ ली। सोशल मीडिया पर अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने एक वीडियो डाला है जिसमें इसी भवन से पुलिस द्वारा मंच पर अश्रु गैस प्रहार करते हुए दिखाया गया है। प्रदर्शन के दौरान 110 लोग घायल हो गए हैं। काठमांडू के एसएसपी विश्व अधिकारी के मुताबिक घायलों में अधिकांश सुरक्षाकर्मी ही शामिल हैं। उन्होंने बताया कि नेपाल पुलिस के 53, सशस्त्र प्रहरी बल के 34 जवान घायल हो गए हैं। 33 प्रदर्शनकारियों के भी घायल होने की खबर है। सरकार ने सभी घायलों का इलाज मुफ्त में कराने का फैसला किया है।
काठमांडू में हालात सामान्य, हटाया गया कर्फ्यू : राजशाही समर्थकों के हिंसक प्रदर्शन, तोड़फोड़ और आगजनी की घटना के बाद शुक्रवार शाम चार बजे लगाया गया कर्फ्यू शनिवार की सुबह सात बजे से हटा दिया गया है। कर्फ्यू हटाने के साथ ही जनजीवन सामान्य होने लगा है। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने शनिवार सुबह कर्फ्यू हटाने का फैसला लिया। प्रमुख जिलाधिकारी ऋषिराम तिवारी ने बताया कि स्थिति सामान्य होने के कारण सुबह सात बजे से काठमांडू के जिन क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया था, उसे हटा लिया गया है। इसी बीच जिला प्रशासन ने सेना को भी सड़कों से वापस भेज दिया गया है। प्रमुख जिलाधिकारी ने बताया कि जनजीवन सामान्य बनने के बाद सेना की आवश्यकता नहीं है। इसलिए उन्हें बैरक में वापस भेज दिया गया है। कल जिस जगह पर पर सबसे अधिक नुकसान हुआ था, लोग उस जगह को देखने के लिए पहुंच रहे है। काठमांडू के चौक चौराहों पर सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी देखी जा सकती है। गौरतलब है कि शुक्रवार को हिंसक झड़प के बाद काठमांडू के मैतीघर मंडला से लेकर संसद भवन तक, नयन बाणेश्वर से पुराने बाणेश्वर तक, कोटेश्वर से लेकर बालकुमारी तक और जड़ीबूटी से लेकर सिनामांगल तक के क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया था। साथ ही सेना व पुलिस लगातार पूरी रात गश्त करती रही।
पत्रकार की मौत पर पत्रकार संगठनों ने किया प्रदर्शन : नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजशाही बहाली की मांग को लेकर शुक्रवार को किए गए हिंसक प्रदर्शन में मारे गए मीडियाकर्मी सुरेश रजक और कुछ मीडिया हाउस पर हुए हमले के विरोध में शनिवार को नेपाल पत्रकार महासंघ ने प्रदर्शन किया। नेपाल पत्रकार महासंघ के नेतृत्व में आज सुबह मैतीघर में विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान पत्रकार रजक की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही इस घटना की सच्चाई जानने के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई। पत्रकारों ने इस घटना के दोषी को सख्त सजा दिए जाने की मांग की है। सरेश रजक एवेन्यूज टेलीविजन के कैमरामैन थे। उनको काठमांडू के तेनकुने में एक इमारत के अंदर जला दिया गया था। नेपाल पत्रकार महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक आचार्य ने कहा कि महासंघ दिवंगत पत्रकार रजक को न्याय दिलाने का काम करेगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी पत्रकारों को पत्रकारों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। महासंघ के पूर्व अध्यक्ष तारानाथ दहाल, धर्मेंद्र झा, शिव गाउंले सहित अन्य पत्रकारों के साथ प्रदर्शन में मौजूद थे।उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनकारियों ने अन्नपूर्ण मीडिया हाउस और कांतिपुर टेलीविजन के दफ्तर पर पथराव किया था। भीड़ ने इन दोनों मीडिया हाउस में आगजनी का भी प्रयास किया, लेकिन समय पर सुरक्षाबलों के पहुंचने से बड़ा हादसा टल गया था।