केदल में तीन बच्चों को छोड़कर 30 वर्षीय विधवा महिला ने लगाई फांसी

Crime

Eksandeshlive Desk

रांची : रांची जिले के बीआईटी मेसरा ओपी थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत केदल गांव में शनिवार (15 फरवरी) की देर शाम को एक विधवा महिला ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामला सामने में आया तो घटनास्थल पर ग्रामीणों की भीड़ लग गई। मृतक महिला की पहचान स्व. दीपक मुंडा उर्फ बिल्ली की 30 वर्षीय पत्नी सबिता देवी के रूप में की गई। मृतक महिला ने अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों की परवाह किए बगैर अपने जीवन लीला समाप्त कर ली। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

गोतनी सुषमा देवी (35) ने बताया कि घटना के समय हमलोग भी घर में नहीं थे, खेत की तरफ बकरी चराने गए थे। सबिता की दोनों बेटी भी मेरे ही साथ में गई थी। घर में उसका तीन साल का एक छोटा बेटा था, जो घर के बाहर खेल रहा था। घर में कोई नही था और सबिता ने अल्बेस्टर के पाइप में स्टॉल दुपट्टा से फंदे पर लटक गई। जब बेटी स्कूल का होम वर्क करने के लिए घर लौटी तो घर का दरवाजा अंदर से बंद पाया। उसने कई बार दरवाजा ठकठकाया और अपनी मां को दरवाजा खोलने के लिए भी कहा, लेकिन कोई अंदर से आवाज नहीं मिली। इसके बाद वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी। बाद में हमलोग और अगल-बगल के लोग आए और दरवाजा की कुंडी के बगल में दीवार को तोड़कर देखा तो फंदे पर झूलती सबिता को देख सभी घबरा गए। घटना के बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पहुंचे पुलिस ने पंचनामा और जांच की कार्रवाई के बाद शव को फंदे से नीचे उतारा।

इधर, थाना प्रभारी संजीव कुमार ने बताया कि मृतका ने अपने अल्बेस्टर घर में पाइप के सहारे स्टॉल दुपट्टे से फांसी लगाई है। परिजन बता रहे हैं कि उनका मानसिक स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक नहीं चल रहा था। पूर्व में भी उसने कुएं में डुबकर और जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। फिलहाल पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को शव सौंप दिया गया है। मुखिया राहूल मुंडा द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक मृतका सबिता देवी अपने पति के गुजर जाने के बाद से मानसिक रूप से थोड़ी अस्वस्थ और परेशान थी। मुखिया ने बताया कि वर्ष 2019 में उसके पति दीपक मुंडा उर्फ बिल्ली की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। फिर वर्ष 2020 लॉकडाउन के समय बड़ी गोतनी सुषमा देवी के पति सुरेंद्र मुंडा की टीबी बीमारी के कारण मौत हो गयी। और इसके कुछ ही साल बाद उसके ससुर जयनंदन मुंडा की भी बीमारी के कारण मौत हो गई। मतलब यूं कहें कि पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ ही टूट गया था। इसके बाद से वह अपने तीनों बच्चों का सहारा बनने की कोशिश करती रही। लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा था। सबिता के तीनों बच्चे आरटीसी पब्लिक स्कूल फुरहूरा टोला केदल में पढ़ते हैं। विधवा सास व उसकी विधवा गोतनी खेती-किसानी एवं मेहनत मजदूरी का काम करते हैं। अब सबिता के जाने के बाद बच्चों का सहारा भी छिन गया।