Eksandeshlive Desk
रांची : केंद्र की भाजपा सरकार झारखंड का बकाया 19,080 करोड़ राशि रोककर राज्य के विकास को धीमा करने का षडयंत्र कर संविधान की भावना और सहकारी संघवाद का अपमान कर रही है।” उपरोक्त बातें गुरुवार को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए इस सम्बन्ध में आज भारत सरकार के वित्त मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, जनजातीय मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, खनन मंत्रालय, जलशक्ति मंत्रालय, नीति आयोग एवं सभी संबंधित विभागों के केन्द्रीय मंत्रालय /सचिव को विस्तृत पत्र इमेल के माध्यम से भेजकर तत्काल भुगतान की मांग की है।
नायक ने आगे कहा कि झारखंड की महत्वपूर्ण योजनाओं की 19,080 करोड़ रुपये की राशि केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में अटकी हुई है, जिसके कारण गरीब, आदिवासी, मूलवासी, दलित, पिछड़े और ग्रामीण समाज तथा छात्र छात्राओं की छात्रवृत्ति योजनाएं बुरी तरह प्रभावित होकर ठप हो रही हैं जो राज्यवासियों के लिए चिंता का विषय के साथ साथ आक्रोश का विषय बनता जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाते हुए कहा कि “यह सिर्फ बकाया नहीं, बल्कि झारखंड के विकास पर एक रोक है, जिससे आज राज्यवार विकास तुलना में झारखंड को लगातार ‘फंड डिले’ होने से कुपोषण, बेरोजगारी, सड़क परियोजनाएँ, छात्रवृत्ति सबसे अधिक प्रभावित हो रही है। नायक ने कहा कि देश के कई राज्यों को समय पर फंड जारी कर दिया जाता है, लेकिन झारखंड के साथ एक षडयंत्र कर फण्ड देने में देरी की जा रही है। इसके कारण आज मनरेगा मजदूरों की मजदूरी अटकी हुई है, ग्रामीण आवास योजना ठप पड़ गई है, छात्रवृत्ति भुगतान से छात्र छात्राओ का भविष्य चौपट हो रहा है, सड़क निर्माण व पेयजल परियोजनाएं रुकी हुई हैं, खनन प्रभावित क्षेत्रों का पुनर्विकास DMF फंड के बिना अधूरा पड़ा हुआ है। उन्होंने उदहारण देते हुए कहा की केंद्र के विभिन्न विभागों में झारखंड की बकाया राशि मनरेगा भुगतान 2,100 करोड़ रुपये, पीएम आवास योजना (ग्रामीण) – 1,850 करोड़ रुपये, NHM / स्वास्थ्य मिशन – 1,150 करोड़ रुपये, छात्रवृत्ति (SC/ST/OBC) – 1,260 करोड़ रुपये, PMGSY/CRIF सड़क निधि – 2,750 करोड़ रुपये, खनन राजस्व / DMF – 1,540 करोड़ रुपये, जल जीवन मिशन – 1,780 करोड़, स्मार्ट सिटी / नगर विकास – 920 करोड़ रुपये, सामाजिक सुरक्षा पेंशन – 310 करोड़ रुपये, आपदा प्रबंधन SDRF/NDRF – 870 करोड़ रुपये, वन अधिकार / जनजातीय योजनाएं – 600 करोड़ रुपये, केंद्रीय उपकर / राजस्व हिस्सेदारी – 3,950 करोड़ रुपये कुल लंबित बकाया राशि: लगभग 19,080 रुपये करोड़ है।
नायक ने कहा कि केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए— क्या झारखंड दोयम दर्जे का राज्य है? क्या झारखंड के गरीबों के अधिकार बाधित करने की कोई नीति है? क्या आदिवासी मूलवासी गरीब बहुल राज्य को आर्थिक रूप से कमजोर करने का इरादा है? नायक ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र तुरंत भुगतान नहीं करता, तो झारखंड की जनता एक व्यापक आंदोलन करेगी और केंद्र को इसका राजनीतिक व सामाजिक जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा कि “बकाया रोककर विकास धीमा करना, संविधान की भावना और सहकारी संघवाद— दोनों का अपमान है जिसे झारखंडी जनता अब बर्दाश्त नहीं करेगी।” झारखंड अब किसी भी कीमत पर अपने पैसे से वंचित नहीं रहेगा। राज्य की जनहित योजनाओं को बाधित करने की अनुमति अब किसी भी कीमत पर इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी।
