Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। सरकार ने कीमतों में तेजी पर लगाम लगाने के लिए बुधवार को थोक विक्रेताओं, छोटे और बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं का स्टॉक रखने के मानदंडों को और सख्त कर दिया है।
उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि गेहूं की कीमतों को कम करने के निरंतर प्रयासों के तहत सरकार ने 31 मार्च, 2025 तक लागू गेहूं की स्टॉक सीमा को संशोधित किया गया है। संशोधित मानदंडों के अनुसार थोक विक्रेताओं को अब 2,000 टन के बजाय 1,000 टन तक गेहूं का स्टॉक रखने की अनुमति होगी।
मंत्रालय के मुताबिक खुदरा गेहूं विक्रेता प्रत्येक बिक्री केंद्र पर 10 टन के बजाय अब 5 टन का स्टॉक रख सकते हैं, जबकि बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता प्रत्येक बिक्री केंद्र पर 10 टन के बजाय 5 टन गेहूं ही रख सकते हैं। इसके साथ ही प्रसंस्करणकर्ताओं को अप्रैल, 2025 तक शेष महीनों से गुणा करके अपनी मासिक स्थापित क्षमता के 60 फीसदी के बजाय 50 फीसदी को बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी।
खाद्य मंत्रालय ने कहा कि सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं की स्टॉक सीमा को पोर्टल पर पंजीकरण करना और हर शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अद्यतन करना आवश्यक है। अधिसूचना के मुताबिक यदि संस्थाओं के पास स्टॉक निर्धारित सीमा से ज्यादा है, तो उन्हें इसके जारी होने के 15 दिन के भीतर अपनी मात्रा को निर्धारित स्टॉक लिमिट तक लाना होगा। केंद्र सरकार ने गेहूं पर स्टॉक सीमा पहली बार 24 जून, 2024 को लगाई गई थी, जिसको बाद में समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए 9 सितंबर को मानदंडों को कड़ा किया गया था। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि कीमतों को नियंत्रित करने और देश में आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की स्टॉक स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।