Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई ) के लाभार्थियों को 300 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम सिलेंडर सब्सिडी देने को मंजूरी दी गई है। इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पीएमयूवाई उपभोक्ताओं की औसत प्रति व्यक्ति खपत (पीसीसी) 2019-20 में केवल लगभग 3 रिफिल थी, जो 2022-23 में 3.68 रिफिल और 2024-25 में बढ़कर लगभग 4.47 रिफिल हो गई है।
पीएमयूवाई मई 2016 में शुरू की गई थी : प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई ) मई 2016 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य देशभर में गरीब परिवारों की वयस्क महिलाओं को निशुल्क एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराना है। एक जुलाई, 2025 तक देश में लगभग 10.33 करोड़ पीएमयूवाई कनेक्शन हैं। सभी पीएमयूवाई लाभार्थियों को सिलेंडर की सुरक्षा जमा राशि, प्रेशर रेगुलेटर, सुरक्षा होज़, डोमेस्टिक गैस कंज़्यूमर कार्ड (डीजीसीसी) पुस्तिका और इंस्टॉलेशन शुल्क सहित निःशुल्क एलपीजी कनेक्शन मिलता है। उज्ज्वला 2.0 की मौजूदा व्यवस्था के अनुसार, सभी लाभार्थियों को पहला रिफिल और चूल्हा भी निःशुल्क दिया जाता है। लाभार्थियों को एलपीजी कनेक्शन, पहला रिफिल या चूल्हे के लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़ता, क्योंकि इनकी लागत भारत सरकार/तेल विपणन कंपनियां वहन करती हैं। भारत अपनी एलपीजी आवश्यकता का लगभग 60 प्रतिशत आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय एलपीजी कीमतों में तेज़ उतार-चढ़ाव के प्रभाव से पीएमयूवाई लाभार्थियों को बचाने और उन्हें सस्ती एलपीजी उपलब्ध कराने, साथ ही इसके निरंतर उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने मई, 2022 में 200 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम सिलेंडर (अधिकतम 12 रिफिल प्रति वर्ष, और 5 किलोग्राम कनेक्शन के लिए अनुपातिक) की लक्षित सब्सिडी शुरू की थी।
केंद्र की मेरिट योजना को बजटीय सहायता को मंजूरी : प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को 4,200 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ बहुविषयक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में अनुसंधान सुधार (मेरिट) योजना के लिए बजटीय सहायता को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी-2020) के अनुरूप राज्यों में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता, समानता और प्रशासन में सुधार लाना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित पत्रकार वार्ता में मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह एक ‘केंद्रीय क्षेत्र योजना’ है। इसका कुल वित्तीय भार 2025-26 से 2029-30 की अवधि के लिए 4200 करोड़ रुपये होगा। 4200 करोड़ रुपये में से विश्व बैंक से ऋण के रूप में 2100 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त होगी। इसके अलावा 175 इंजीनियरिंग संस्थानों और 100 पॉलिटेक्निक संस्थानों सहित 275 तकनीकी संस्थानों में ‘तकनीकी शिक्षा में योजना के कार्यान्वयन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इस योजना के अंतर्गत अनुमानित 275 सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त तकनीकी संस्थानों का चयन और समर्थन किए जाने की उम्मीद है। इसमें चुनिंदा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), राज्य इंजीनियरिंग संस्थान, पॉलिटेक्निक और संबद्ध तकनीकी विश्वविद्यालय (एटीयू) शामिल होंगे। इसके अलावा तकनीकी शिक्षा क्षेत्र को संभालने वाले राज्यों के विभागों को भी मेरिट योजना के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, इस योजना से लगभग 7.5 लाख छात्र लाभान्वित होंगे।