Eksandeshlive Desk
खूंटी : भाजपा के कद्दावर प्रत्याशी पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा को शिकस्त देने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए खूंटी के नवनिर्वाचित विधायक राम सूर्या मुंडा ने कहा कि यह जीत खूंटी क्षेत्र की जनता की जीत है। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हो गया कि क्षेत्र की जनता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जनकल्याणकारी कार्यों पर अपनी मुहर लगाई है। उन्होंने कहा कि लोगों ने जिस विश्वास के साथ उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है, वे जनता के इस विश्वास पर पूरी तरह से खरा उतरने का प्रयास करेंगे।
दूसरे प्रयास में राम सूर्या मुंडा ने चखा जीत का स्वाद
खूंटी विधानसभा सीट से दूसरे प्रयास में ही झामुमो प्रत्याशी राम सूर्या मुंडा ने जीत का स्वाद चक लिया। इससे पूर्व 2019 के विधानसभा चुनाव में राम सूर्या मुंडा ने झापा प्रत्याशी के रूप में खूंटी सीट से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में राम सूर्या मुंडा को महज 1385 वोट मिले थे और उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी, लेकिन इस चुनाव में झामुमो प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर भाजपा के इस किले को ध्वस्त करते हुए रिकार्ड मतों से जीत हासिल कर ली। नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन जब राम सूर्या मुंडा को खूंटी सीट से झामुमो का प्रत्याशी घोषित किया गया था, तो क्षेत्र के लोग उसे पार्टी में नया चेहरा बताकर नीलकंठ सिंह मुंडा की जीत को निश्चित मानने लगे थे, लेकिन जिस प्रकार से राम सूर्या मुंडा ने नीलकंठ सिंह मुंडा को बड़े अंतर से पराजित किया, उससे सभी समीकरण और लोगों का पूर्वानुमान ध्वस्त हो गया। नीलकंठ सिंह मुंडा की इस बड़ी हार की व्याख्या लोग अब अपने-अपने हिसाब से करने लगे हैं।
यह जीत क्षेत्र की जनता और समर्पित कार्यकर्ताओं की है : सुदीप गुड़िया
जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तोरपा के नव निर्वाचित विधायक सुदीप गुड़िया ने कहा कि यह हेमंत सोरेंन और कलपना सोरेन के कुशल नेतृत्व और समर्पित कार्यकर्ताओं की मेहनत के साथ ही जनता का आशीर्वाद है। उन्होंने कहा कि वे क्षेत्र की जनता के लिए हर समय उपलब्ध रहेंगे। 10 वें राउंड के बाद ही खाली हो गया भाजपा का तंबू मतगणना का परिणाम जानने के लिए खूंटी, मुरहू , कर्रा, तोरपा सहित काफी दूर-दूर से भाजपा कार्यकर्ता मतगणना केंद्र के पास पहुंचे थे। इसके लिए भाजपा द्वारा मतगणना केंद्र के बाहर विशाल टेंट लगाया गया था, लेकिन जैसे-जैसे भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा और कोचे मुंडा पिछड़ते गये, भाजपा कार्यकर्ता वहां से धीरे-धीरे खिसकने लगे। 10 वें राउंड के बाद तो भाजपा का तंबू लगभग खाली हो चुका था।