Nitish Vernwal
Ranchi : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा को एक बड़ा झटका लगा है। सोरेन परिवार की बड़ी बहू और जामा से विधायक सीता सोरेन ने आज बीजेपी का दामन थाम लिया। सीता सोरेन को दिल्ली के बीजेपी कार्यालय में विनोद तावड़े और लक्ष्मीकांत दीक्षित की मौजूदगी में सीता सोरेन को बीजेपी की सदस्यता दिलायी गयी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सीता सोरेन भाभी हैं। सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की प्राथमिक सदस्यता और केंद्रीय महासचिव समेत सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया। इसके साथ ही सीता सोरेन ने विधानसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया। बता दें कि सीता सोरेन लम्बे समय से पार्टी से नाराज चल रही थी। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद के इस्तीफे के बाद चंपाई मंत्रिमंडल में सीता सोरेन और देवर बसंत सोरेन का नाम सबसे आगे था लेकिन मंत्रिमंडल में सीता सोरेन को जगह नहीं मिली लेकिन देवर बसंत सोरेन को मंत्रिमंडल में स्थान मिल गया। जिसके बाद सीता लगातार खामोशी की चादर ओढ़े नजर आयी।
सुनील की जगह जयश्री को बना जा सकता है उम्मीदवार
इस्तीफे के बाद इस बात की संभावना भी बढ़ गई है कि दुमका लोकसभा सीट से बीजेपी अपने उम्मीदवार को बदल सकती है। बता दें कि बीजेपी ने पहली सूची में ही सुनील सोरेन को दुमका सीट से दुसरी बार उम्मीदवार बनाया है। लेकिन अब राजनीतिक परिदृश्य बदलने के बाद इस बात की संभावना बढ़ गयी है। अब सुनील सोरेन की जगह बीजेपी जयश्री सोरेन को उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि यह भी संभव है कि बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जयश्री सोरेन और राजश्री सोरेन को पार्टी में शामिल करने का फैसला लिया हो।
जामा से तीसरी बार चुनी गयी है विधायक
सीता मुर्मू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन की बहू, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं। झारखंड की जामा विधानसभा क्षेत्र से वह विधायक चुनी गईं थीं। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव के रूप में नियुक्त किया था। इसके बाद 2014 में उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और उसी सीट से दोबारा विधायक बनीं। साल 2019 में जामा विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक चुनी गयी।
जांच का रास्ता साफ
गौरतलब है कि सीता सोरेन के खिलाफ लोकपाल का मामला सामने आया। दावा किया जाता है कि सीता सोरेन के पास आय से अधिक संपत्ति है, इसके साथ ही सीता के खिलाफ राज्यसभा चुनाव के मामले में हॉर्स ट्रेडिंग का मामला भी था। वहीं भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाउस ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए कोर्ट में सीता सोरेन के खिलाफ मामला दायर किया था। हालांकि हाईकोर्ट से इस मामले में सीता सोरेन बचती नजर आ रही थी, लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ ही सीता सोरेन के खिलाफ भी जांच का रास्ता साफ कर दिया। ऐसे में अब देखना होगा कि सीता सोरेन के द्वारा कमल की सवारी के बाद, जिसकी संभावना जताई जा रही है। हॉर्स ट्रेडिंग से लेकर आय से अधिक संपत्ति के आरोपों पर भाजपा की क्या प्रतिक्रिया आती है? क्या इस पलटी के बाद भी निशिकांत सीता के खिलाफ जांच की मांग करते हैं? या फिर कमल की सवारी करते ही सीता के खिलाफ सारे मामले दफन हो जाते हैं