कोरोनाकाल में रेमडेसिविर के 2512 इंजेक्शन हो गये थे एक्सपायर : एजी

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Eksandeshlive Desk

रांची : झारखंड में कोरोना काल के दौरान फरवरी 2022 में जब लोग मर रहे थे। उस दौरान राज्य में 2512 रेमडेसिविर के 2512 इंजेक्शन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक्सपायर हो गये। यह खुलासा शुक्रवार को झारखंड के प्रधान महालेखाकार (एजी) इंदू अग्रवाल ने प्रेस वार्ता में किया। उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 तक राज्य में 1,64,761 रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध था। जिसके विरुद्ध 53,205 इंजेक्शन स्टॉक में था। इसके अलावा, पांच नमूना जांच की गयी डीएच को 4, 739 रेमडेसिविर इंजेक्शन मिला। वहीं अप्रैल 2021 और फरवरी 2022 के बीच केवल 696 रेमडेसिविर इंजेक्शन का ही उपयोग किया गया। इसमें 2512 इंजेक्शन एक्सपायर हो गयी। वहीं स्टॉक में 1,531 इंजेक्शन ही स्टॉक में मौजूद था।एसजी की ओर से कहा गया कि राज्य औषधि नियंत्रक, रांची को 6,990 इंजेक्शन जारी दिखाया गया। हालांकि डिलीवरी चालान की जांच की गयी तो पता चला कि यह इंजेक्शन एनएचएम के एमडी और राज्य औषधि नियंत्रक के टेलीफोनिक आदेश पर दो प्राइवेट सप्लायरों को जारी कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि जेएमएचआईडीपीसीएल को इंजेक्शन की सप्लाई के लिए राज्य के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के अलावा व्यक्तियों से चेक मिले थे। इन प्राप्त हुए चेक में से 39.66 लाख रुपये के ऐसे 63 चेक थे, जिनमें व्यक्तियों द्वारा दिए गए 29.14 लाख रुपये मूल्य के 58 चेक को बैंकों ने लौटा दिया।

3.16 करोड़ के राजस्व का नुकसान : उन्होंने कहा कि झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सोसाइटी (जेआरएचएमएस) और सीएस-सह-सीएमओ की ओर से निजी अस्पतालों से, जिन्हें वेंटिलेटर किराए पर दिए गए था। ऐसे लोगों से सिक्यूरिटी के रुप में जमा कराया गया 69 लाख रुपये और 3.16 करोड़ का किराया वसूलने में स्वास्थ्य विभाग विफर रहा। इससे राजस्व का नुकसान हुआ। एजी की जांच में स्वास्थ्य विभाग में भारी गड़बड़ी पायी गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोडरमा और चाईबासा में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का निर्माण 653.61 करोड़ रुपये की लागत से शुरु किया गया था। जिसे जनवरी 2022 में पूरा करना था। लेकिन अगस्त 2022 तक तक चाईबासा में आठ प्रतिशत काम और कोडरमा में केवल 12 प्रतिशत ही किया जा सका। शेष काम अधूरा था। इसके अलावा खरसावां में भी 500 बेड वाले अस्पताल भवन का निर्माण 142.88 करोड़ रुपये की लागत से होना था। लेकिन विभाग की काम में बार-बार बदलाव और मंजूरी में देरी के कारण अगस्त 2022 तक भवन का काम पूरा नहीं हो सका। इसी तरह से दुमका जिले के हंसडीहा में 100 बेड वाला अस्पताल को मानव बल के मंजूरी नहीं मिलते के चलते नहीं शुरु किया जा सका। वहीं गढ़वा जिले के खरौंधी में बनने वाले सीएचसी के भवन का निर्माण कार्य जो 2.25 करोड़ में जनवरी 2016 तक पूरा हुआ था। वहीं विभाग के दस्तावेजों में इसे एक्टिव बताया गया था। उसकी जब मई 2022 में जांच की गयी तो सीएचसी का भवन अधूरा और जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पाया गया।