डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची में करम पर्व की धूम
Eksandeshlive Desk
रांची: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची में करम पर्व के अवसर पर उपस्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के लोकपाल प्रो. (डॉ.) अंजली कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि करम पर्व में जिस पेड़ की डाली को पूजते हैं, इसके अपने प्राकृतिक गुण है कि इस पेड़ से ज्यादा ऑक्सीजन हमें प्रदान करती है। जिससे प्रकृति और हम जीव जगत के बीच संतुलन बना रहता है। यह आदिवासी की अनमोल खोज है। साथ ही उन्होंने आखड़ा परिसर के चारों ओर सेड लगाने की बात कही।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) तपन कुमार शांडिल्य ने करम के अर्थ को समझाते हुए कहा कि हमें धर्म के साथ कर्म की भी आवश्यकता है। झारखंडी समाज प्रकृति में अपने देवत्व स्थापित कर इसको पूजने की परंपरा अटुट एवं संपूर्ण जीव जगत के लिए हितकर है। इसमें भाई-बहन के स्नेह प्रेम के साथ संपूर्ण मानव को एक सूत्र में बांधने का कार्य करम पर्व का मूल उद्देश्य है। पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) सत्यनारायण मुंडा ने करम पर्व के महत्व को बतलाते हुए कहा कि हमें पेड़ – पौधों के साथ संबंध बनाये रखना चाहिए। इस पर और अधिक गहन शोध करने की आवश्यकता है क्योंकि इन पेड़ पौधों पर हम सभी किसी न किसी रूप में आश्रित है। इसके पूर्व विश्वविद्यालय परिसर में स्थित आखड़ा में विभिन्न विभाग द्वारा उठाये हुए जाउआ को नृत्य-गीत के साथ विधिवत लाया गया। फिर पाहान के साथ नृत्य-गीत करते हुए करम डाली के लिए करम पेड़ के पास गया। फिर वहां करम डाली को विधिवत काटकर लाया गया और पहान प्रो. महेश भगत ने इसे आखड़ा में स्थापित किया। करम डाली की पूजा प्रो. महेश भगत एवं डॉ. जुरन सिंग मानकी द्वारा संपन्न कराया गया। इस अवसर पर सेंकड़ों उपवास की हुई लड़कियां करम डाली के चारों और बैठी हुई थी, जिन्होंने करम डाली की पूजा की। करम पूूजा के कथावाचक के रूप में श्री सरन उरांव ने इसके विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में आगंतुक अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान विभाग के शिक्षकों द्वारा अंगवस्त्र देकर किया गया एवं छात्र-छात्राओं द्वारा स्वागत गीत के रूप अतिथियों का स्वागत किया। करम महोत्सव के अवसर पर उपस्थित सभी अतिथियों, विशिष्ट अतिथियों एवं आगंतुकों का स्वागत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के कोर्डिनेटर डॉ. विनोद कुमार ने करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को इन सभी विभागों के लिए पद सृजन का आग्रह किया। कार्यक्रम को रंगीन बनाते हुए पद्मश्री मधु मंसुरी ने अपने सुरों से आखड़ा में नृत्य-संगीत की शुभारंभ की। फिर विभिन्न विभागों द्वारा सामुहिक नृत्य-गीत प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत विभिन्न 9 विभागों के नृत्यों दलों द्वारा नृत्य-गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात सम्मान के साथ करम डाली एवं जावा का विसर्जन छात्र छात्राओं द्वारा किया गया। इस अवसर पर समाज विज्ञान के संकायाध्यक्ष डॉ. सर्वोत्तम कुमार, हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. जिंदर सिंह मुंडा, टीआरआई के पूर्व निदेशक सोमा सिंह मुंडा, आई. टी विभाग के शिक्षक डॉ. राहुल देव सिंह, बीएड के डॉ. अरविंद कुमार मोेर्या, डॉ. पारितोष मांझी, नागपुरी विभाग के डॉ. मालती वागिषा लकड़ा, डॉ. मनोज कच्छप, कुड़मालि के डॉ. निताई चंद्र महतो, कुड़ुख के डॉ. सिता कुमारी, सुनिता कुमारी, संताली के डॉ. डुमनी माई मुर्मू, खड़िया के शांति केरकेट्टा, मुंडारी के डॉ. शांति नाग, डॉ. दशमी ओड़ेया, पंचपरगनिया के लक्ष्मीकांत प्रमाणिक, खोरठा सुशिला कुमारी, सभी विभाग के शोधार्थीगण, छात्र-छात्राएं, विश्वविद्यालय के कई शिक्षक एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।