कुलमान घिसिंग पर संस्था के करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों रुपये प्रचार-प्रसार में खर्च करने का आरोप लगा

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आशुतोष झा

काठमांडू: नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रबंध निदेशक कुलमान घिसिंग पर संस्था के करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों रुपये प्रचार-प्रसार में खर्च करने का आरोप लगा है। महान्यायाधिवक्ता रमेश बडाल ने सर्वोच्च अदालत में सरकार की ओर से बहस करते हुए दावा किया कि घिसिंग ने सरकारी खर्च से यूट्यूब चैनलों पर भारी रकम खर्च कर अपनी छवि को देवत्वकरण करने का प्रयास किया।बडाल के अनुसार, वर्तमान में सरकार इस खर्च का विस्तृत विवरण संकलित कर रही है। उन्होंने कहा, “यह रकम करोड़ों में सीमित नहीं है, बल्कि अरबों रुपये प्रचार में खर्च हुए हैं। ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का पहले ही घिसिंग पर यह आरोप लगा चुके हैं कि भारत से बिजली आयात करने की वजह से ही लोडशेडिंग खत्म हुई, बकाया रकम की वसूली में चूक हुई और सरकार की अनुमति के बिना भारत के साथ बिजली व्यापार समझौता किया गया। नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निदेशक कुलमान घिसिंग और वर्तमान कार्यकारी निदेशक हितेंद्रदेव शाक्य द्वारा दायर रिट पर सर्वोच्च अदालत में दूसरे दिन भी बहस पूरी नहीं हो सकी, जिससे मामला ‘हेर्दाहेर्दै’ (अधूरी सुनवाई के लिए लंबित) में डाल दिया गया।सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश कुमार चुडाल और नित्यानंद पांडेय की संयुक्त पीठ में मंगलवार और बुधवार को दोनों पक्षों के कानूनी वकीलों ने बहस की। मंगलवार को कुलमान घिसिंग के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ताओं दिनमणि पोखरेल, माधव बस्नेत आदि ने बहस की थी। बुधवार को हितेंद्रदेव शाक्य की ओर से बहस शुरू हुई, लेकिन पूरी नहीं हो सकी, जिसके कारण मामला ‘हेर्दाहेर्दै’ में डाल दिया गया। अब गुरुवार को हितेंद्रदेव शाक्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शंभु थापा, गोविंद बंदी समेत अन्य कानूनी विशेषज्ञ बहस करेंगे। सरकारी पक्ष की ओर से महान्यायाधिवक्ता रमेश बडाल समेत अन्य वकील पहले ही अपनी दलीलें पेश कर चुके हैं। गुरुवार की बहस के बाद सर्वोच्च अदालत यह तय करेगी कि अंतरिम आदेश जारी किया जाए या नहीं। अब तक की कानूनी बहस के आधार पर कानूनी जानकारों का विश्लेषण है कि अदालत अंतरिम आदेश जारी करने की संभावना कम है। सर्वोच्च अदालत की अंतिम राय गुरुवार की बहस के बाद ही स्पष्ट होगी।