लाठीचार्ज की घटना की दो पूर्व मुख्‍यमंत्रियों ने की न्यायिक जांच कराने की मांग

Politics

Eksandeshlive Desk

पश्चिमी सिंहभूम : जिला स्थित चाईबासा के तांबो चौक में सोमवार की रात हुए पुलिस लाठीचार्ज को लेकर झारखंड की सियासत गरमा गई है। इस घटना की दो पूर्व मुख्यमंत्रियों मधुकोड़ा और चंपाई सोरेन के साथ पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने मंगलवार को कड़ी निंदा की। उन्‍होंने घटना को आदिवासी विरोधी बताया है। तीनों नेताओं ने सरकार से न्यायिक जांच की मांग की है और दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है। उल्‍लेखनीय है कि सोमवार को ग्रामीणों ने नो-इंट्री नियम और स्थानीय मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया था। मंत्री दीपक बिरुवा के आवास की ओर बढ़ रही भीड़ को रोकने के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में तनाव व्याप्त है।

घायलों को मुआवजा देने और गिरफ्तार ग्रामीणों को तत्काल रिहा करने की मांग : पूर्व मुख्यमंत्री मधुकोड़ा और पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगें रख रही जनता पर पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि निर्दोष आदिवासियों पर लाठियां चलवाकर सरकार ने अपनी संवेदनहीनता साबित की है। दोनों नेताओं ने लाठीचार्ज की न्यायिक जांच कराने, घायलों को मुआवजा देने और गिरफ्तार ग्रामीणों को तत्काल रिहा करने की मांग की है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने भी मौजूदा हेमंत सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जो सरकार खुद को आदिवासियों की सरकार बताती है, वही आज आदिवासियों पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले भोगनाडीह, फिर रांची सरना स्थल, उसके बाद नगड़ी (रिम्स-2) में आदिवासियों पर लाठीचार्ज हुआ और अब मंत्री दीपक बिरुवा के निर्देश पर शांतिपूर्वक निवेदन करने आई भीड़ पर लाठी बरसाई गई। चंपाई सोरेन ने कहा कि यह कैसी आदिवासी सरकार है जो अपने ही लोगों की आवाज नहीं सुनती है। सरकार अंधी और बहरी हो गई है, अब आदिवासी ही इसे सबक सिखाएंगे।

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