लद्दाख हिंसाः केंद्र के साथ बातचीत के लिए केडीए ने रखी शर्त, न्यायिक जांच और गिरफ्तारी रद्द करने की मांग

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : लद्दाख में हालिया हिंसा के बाद केंद्र सरकार की उच्चस्तरीय समिति के साथ बातचीत को लेकर करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने गृह मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बातचीत में हिस्सा नहीं लेने की घोषणा की है। इससे पहले लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) भी बातचीत से दूरी बनाने की घोषणा कर चुकी है। केडीए के वरिष्ठ नेता असगर अली करबलाई ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि केडीए की टीम दिल्ली में प्रीपरेटरी मीटिंग के लिए आई थी और इस दौरे से पहले एलएबी के को-चेयरमैन से बातचीत भी हुई थी, लेकिन लद्दाख में हालात बिगड़ने और मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार तक की अनुमति न दिए जाने के विरोध में एलएबी ने निर्णय लिया कि जब तक न्यायिक जांच नहीं होती और गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक वह किसी बातचीत में शामिल नहीं होंगे।

लद्दाख में शांति बहाली से पहले किसी भी तरह की बातचीत नहीं हो सकती : करबलाई ने कहा कि एलएबी की इस स्थिति का केडीए समर्थन करता है और हम भी 6 अक्टूबर को होने वाली बातचीत में हिस्सा नहीं लेंगे जब तक गिरफ्तारियां बंद नहीं होतीं, गिरफ्तार लोगों को रिहा नहीं किया जाता और कार्यकर्ताओं पर लगाए गए आरोप वापस नहीं लिए जाते। इससे पहले लेह एपेक्स बॉडी के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग ने भी प्रेस से कहा था कि लद्दाख में शांति बहाली से पहले किसी भी तरह की बातचीत नहीं हो सकती। उल्लेखनीय है कि राज्य का दर्जा और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर एलएबी ने 24 सितंबर को बंद बुलाया था। बंद के दौरान हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 90 लोग घायल हुए थे। आंदोलन में भाग लेने के कारण प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार किया गया है। एलएबी ने अब वांगचुक समेत अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने की मांग की है। केंद्र सरकार ने इससे पहले 20 सितंबर को एलएबी और केडीए को फिर से बातचीत के लिए आमंत्रित किया था, जिसकी अगली बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में प्रस्तावित है।

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