लोडशेडिंग खत्म करने में भारत की भूमिका, कुलमान घिसिंग का भ्रामक प्रचार : ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का

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Ashutosh Jha

काठमांडू : नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्री दीपक खड़का ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के कार्यकारी निदेशक कुलमान घिसिंग पर लोडशेडिंग खत्म करने का श्रेय अकेले लेने का आरोप लगाया है। बुधवार को प्रतिनिधि सभा की बैठक में बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि नेपाल में लोडशेडिंग खत्म होने का मुख्य कारण भारत से आयातित बिजली है। मंत्री खड़का के अनुसार, नेपाल में लोडशेडिंग खत्म करने के लिए पूर्व ऊर्जा मंत्री ज्ञानेन्द्र बहादुर कार्की और तत्कालीन प्राधिकरण प्रमुख मुकेश काफ्ले ने ढल्केबर–मुजफ्फरपुर अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण करवाया था। इस संरचना के कारण ही नेपाल को भारत से आवश्यक मात्रा में बिजली आयात करने का अवसर मिला और लोडशेडिंग समाप्त हो सका। लेकिन कुलमान घिसिंग ने इस सच्चाई को छुपाकर खुद को ही नायक के रूप में प्रचारित करने की प्रवृत्ति अपनाई।

मंत्री खड़का ने कहा कि नेपाल अभी भी सर्दियों के दौरान भारत से लगभग 1,000 मेगावाट बिजली आयात करने के लिए मजबूर है। देश की आंतरिक उत्पादन क्षमता मांग को पूरा करने में असमर्थ होने के कारण नेपाल के पास भारत से बिजली खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में कुलमान घिसिंग का यह दावा करना कि उन्होंने लोडशेडिंग खत्म कर दी, एक भ्रामक प्रचार है। मंत्री खड़का ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण की मुनाफे की रिपोर्ट पर भी संदेह जताया। उन्होंने दावा किया कि प्राधिकरण ने डेडिकेटेड और ट्रंक लाइन के बकाया राशि को मुनाफे के रूप में दिखाकर कृत्रिम लाभांश दर्शाया है। इसके अलावा, विभिन्न वेंडर्स को किए जाने वाले भुगतान को रोककर प्राधिकरण को लाभ में दिखाने की कोशिश की गई है। मंत्री खड़का ने आरोप लगाया कि यह सब साधारण शेयरों को ऊंचे दाम पर बेचने की रणनीति का हिस्सा है।

मंत्री खड़का ने कुलमान घिसिंग के कार्य प्रदर्शन मूल्यांकन प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाए। उनके अनुसार, कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत के दो महीनों के भीतर कार्य प्रदर्शन मूल्यांकन प्रस्तुत किया जाना चाहिए। हालांकि, कुलमान घिसिंग ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद इसे समय पर जमा नहीं किया। जब उन्होंने इसे प्रस्तुत किया, तो खुद ही अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करके खुद को 98.99% अंक दे दिए। मंत्री खड़का ने इसे अनुचित बताते हुए कहा कि परीक्षार्थी खुद ही परीक्षक नहीं बन सकता। इंडो-नेपाल पावर एक्सचेंज कमिटी की बैठक में नेपाल विद्युत प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक ने भारत से आयात की जाने वाली बिजली की दर में 1.5% की वृद्धि करने का समझौता किया था। मंत्री खड़का के अनुसार, इस निर्णय को लेने से पहले घिसिंग ने सरकार से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली। इससे नेपाल पर सालाना 42 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले भी कुलमान घिसिंग ने नियमों का उल्लंघन कर कई समझौते किए हैं। नेपाल विद्युत प्राधिकरण अधिनियम के अनुसार, किसी भी विदेशी देश से बिजली खरीदने या बेचने के लिए नेपाल सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होती है। लेकिन घिसिंग ने इस कानून की अनदेखी कर समझौता किया।

मंत्री खड़का ने कहा कि नेपाल से बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने का श्रेय कुलमान घिसिंग को नहीं जाता, बल्कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा, वर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और तत्कालीन विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा की सक्रिय कूटनीति के कारण संभव हुआ। उनके अनुसार, नेपाल से भारत को 10,000 मेगावाट और बांग्लादेश को 5,000 मेगावाट बिजली निर्यात करने का समझौता देउबा और ओली के प्रयासों से हुआ था। बांग्लादेश को निर्यात किए गए 40 मेगावाट बिजली भी पूरी तरह से देउबा और आरजू राणा की कूटनीतिक कोशिशों का नतीजा है। ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का ने स्पष्ट किया कि नेपाल में ऊर्जा संकट को समाप्त करने के लिए सरकार ने नीतियां बनाई, ट्रांसमिशन लाइन का बुनियादी ढांचा तैयार किया और भारत के साथ समझौते किए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलमान घिसिंग ने इन सभी सरकारी नीतियों और बुनियादी ढांचे की अनदेखी कर केवल अपनी व्यक्तिगत छवि को चमकाने का काम किया। मंत्री खड़का ने दोहराया कि नेपाल में लोडशेडिंग समाप्त होने का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि सरकारी नीतियों और भारत के सहयोग को जाता है।

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