Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : इस साल सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में 64.64 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। 2024 में दाखिल नामांकनों की संख्या 12,459 थी जबकि 2019 में यह संख्या 11,692 थी। इसी तरह 2019 में जहां 8,054 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा वहीं 2024 में कुल 8,360 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। यह जानकारी भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 पर जारी रिपोर्ट में दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस चुनाव में महिला मतदाताओं ने अपनी उपस्थिति और भागीदारी से लोकतंत्र को नई ऊंचाई दी, जो महिलाओं के मताधिकार के नए मानक का संकेत है। महिला मतदाताओं का मतदान औसत 65.78 प्रतिशत रहा जबकि पुरुष मतदाताओं का यह औसत 65.55 प्रतिशत था। महिला उम्मीदवारों की संख्या 800 थी जबकि 2019 में यह संख्या 726 थी। 2019 की तुलना में थर्ड-जेंडर मतदाताओं में 46.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2024 में जहां 90,28,696 पंजीकृत दिव्यांग मतदाता रहे वहीं 2019 में यह संख्या 61,67,482 थी। वर्ष 2019 में 540 मतदान केंद्रों की तुलना में वर्ष 2024 में केवल 40 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ। दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 पर 42 सांख्यिकीय रिपोर्ट और एक साथ कराए गए चार राज्य विधानसभा चुनावों पर 14-14 रिपोर्टें जारी की हैं। आयोग का कहना है कि ये लगभग 100 सांख्यिकीय रिपोर्ट गहन विश्लेषण और नीतिगत अंतर्दृष्टि के लिए दुनिया भर के शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और चुनाव पर्यवेक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण खजाने की तरह होंगी।
आयोग के अनुसार इस रिपोर्ट में उपलब्ध डेटा सेट संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और राज्यवार मतदाताओं, मतदान केंद्रों की संख्या, राज्य तथा संसदीय निर्वाचन क्षेत्रवार मतदाता मतदान, पार्टी के आधार पर वोट शेयर, लिंग आधारित मतदान व्यवहार, महिला मतदाताओं की राज्यवार भागीदारी, क्षेत्रीय विविधताएं, निर्वाचन क्षेत्र डेटा सारांश रिपोर्ट, राष्ट्रीय पार्टियों, राज्य स्तरीय पार्टियों, पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी) का प्रदर्शन, जीतने वाले उम्मीदवारों का विश्लेषण, निर्वाचन क्षेत्रवार विस्तृत परिणाम और बहुत कुछ का विवरण प्रदान करते हैं। यह विस्तृत डेटा सेट हितधारकों को भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर पहले से उपलब्ध पिछले चुनावों के डेटा सेट से तुलना के साथ बारीक स्तर के विश्लेषण के लिए डेटा को काटने-छांटने का अधिकार देता है। आयोग का कहना है कि ये रिपोर्ट चुनावी और राजनीतिक परिदृश्य में दीर्घकालिक दृष्टिकोण और बदलावों को ट्रैक करने के लिए समय-शृंखला विश्लेषण की सुविधा प्रदान करेगी।