Eksandeshlive Desk
मैनचेस्टर : मैनचेस्टर टेस्ट का अंतिम दिन भारतीय टीम के लिए बेहद खास रहा। वॉशिंगटन सुंदर और रवींद्र जडेजा की जोड़ी ने पांचवें दिन लंच से पहले क्रीज पर मोर्चा संभाला और 55.2 ओवर तक डटे रहकर 203 रन की साझेदारी की। इस दमदार साझेदारी ने भारत को हार से बचा लिया और सीरीज 2-2 पर खत्म होने की उम्मीदें बरकरार रखीं। हालांकि जब मैच के अंतिम घंटे में इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने ड्रॉ का प्रस्ताव दिया, उस समय जडेजा 89 और सुंदर 80 रन पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे। टीम इंडिया ने प्रस्ताव ठुकरा दिया और आगे बल्लेबाज़ी करते हुए दोनों खिलाड़ियों ने शतक पूरे किए – जडेजा का यह पांचवां टेस्ट शतक था और वॉशिंगटन का पहला।
गिल ने ड्रॉ को टीम के लिए “सीखने का मौका” बताया : मैच के बाद स्टोक्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जिस तरह से इन दोनों ने बल्लेबाज़ी की, वो शानदार था। उन्होंने हमारी बढ़त को खत्म किया और भारत को मुश्किल स्थिति से निकाला। शतक बने या नहीं, इसका असर नहीं पड़ता – टीम को संकट से निकालना सबसे बड़ी उपलब्धि है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो रूट और हैरी ब्रूक को गेंदबाज़ी सौंपना एक रणनीतिक फैसला था, क्योंकि 257 ओवर फील्डिंग करने के बाद वे अपने प्रमुख गेंदबाज़ों को ओवल टेस्ट से पहले आराम देना चाहते थे।स्टोक्स ने कहा, “हमें पता था कि अब केवल एक ही नतीजा संभव है – ड्रॉ। ऐसे में मैं अपने प्रमुख गेंदबाज़ों को जोखिम में नहीं डाल सकता था।,” भारत की ओर से प्रतिक्रिया और भी भावनात्मक रही। पूर्व बल्लेबाज़ गौतम गंभीर और मौजूदा कप्तान शुभमन गिल ने दोनों बल्लेबाज़ों के शतक को पूरी तरह जायज़ ठहराया। गंभीर ने कहा, “अगर कोई खिलाड़ी 90 या 85 पर है और उसने इतनी मेहनत की है, तो क्या वो शतक डिज़र्व नहीं करता? अगर इंग्लैंड के बल्लेबाज़ होते तो क्या वो भी वैसे ही बाहर आते?” कप्तान शुभमन गिल ने ड्रॉ को टीम के लिए “सीखने का मौका” बताया। उन्होंने कहा, “पहली बार इस सीरीज में हमें शुरू से ही दबाव में रहना पड़ा। पांचवें दिन की पिच पर हर गेंद एक घटना जैसी थी। हमने तय किया था कि गेंद दर गेंद खेलना है और मैच को जितना हो सके, खींचना है।” अब सीरीज 2-1 की स्थिति में है और भारत को आखिरी टेस्ट जीतकर इसे 2-2 से बराबर करने का मौका मिलेगा।