महाराज प्रकाश व शब्द परमात्मा के विभूति स्वरूप है: गंगाधरजी महाराज

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रांची: राँची जिला संतमत सत्संग समिति के तत्वावधान पक्ष स्थान-साधना शिविर के सत्संग में ऋषिकेश के स्वामी पूज्य स्वामी गंगाधरजी महाराज ने साधकों को समझाया कि चाल रहे आध्यात्मिक ग्रंथों में प्रकाश और शब्द की साधना की चर्चा है। साधक ध्यान के द्वारा प्रकाश और शब्द को प्राप्त करते हैं। प्रकाश और शब्द परमात्मा के विभूति स्वरूप हैं। संसार में प्राय: सभी धर्मो में इनकी चर्चा है। वैदिक सनातन धर्म में प्रकाश ब्रहम ज्योति, इसलाम धर्म में-नूरे इलाही व ईसाई धर्मावलंबी डिवाइन लाइट कहते हैं। जिस साधक के अंतर में प्रकाश होता है – उसके अंत: करण के सारे विकार मिट जाते हैं। संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज ने अपनी वाणी में कहा है- खोज करो अंतर उजियारी, दृष्टिवान कोई देखाई है प्रकाश की खोज अपने अंदर में करनी है। इसके लिए गुरु बुद्धि की आवश्यकता है।
महर्षि मेंही आश्रम चुटिया के मुख्य स्वामी निर्मलानंदजी महाराज ने भी प्रवचन में कहा कि क्रम परमात्मा के दो हाथ के रूप में प्रकाश व शब्द हैं। साधना विशेष के द्वारा साधक जब प्रकाश और शब्द को प्राप्त कर लेते हैं तो वे प्रभु की गोद में चले जाते हैं। उनका जीवन, पवित्र व सुखमय बन जाता है। शब्द को हमारे धर्म ग्रन्थ में ब्रहम्नाद, इस्लाम धर्म में नूरे इलाही व ईसाई में डिमाइन साउन्ड कहते हैं। इसी शब्द को प्रणव ध्वनि भी कहा जाता है। इसी नाद ब्रहम को पकड़कर खोजक सारे आवरणों की पारकर प्रभु से मिल जाते हैं। वहीं राँची जिला संतमत सत्सँग समिति ने नगर के सभी धर्म- प्रेमियों से आग्रह किया कि इस ज्ञान गंगा में अधिक से अधिक संख्या में पहुँचकर संतजनों के दर्शन कर एवं उनके प्रवचन को सुनकर झात्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर होने का लाभ उठायें।