अजय राज
प्रतापपुर/चतरा: प्रखंड के चन्द्रीगोविंदपुर पंचायत में मनरेगा योजना हुए बड़े घोटाले ने पूरे प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। उपायुक्त चतरा के निर्देश पर की गई जांच में चार योजनाओं में फर्जी लेबर डिमांड कर मस्टर रोल तैयार कर सरकारी राशि की अवैध निकासी का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। जिलास्तरीय जांच टीम ने पाया कि जिन मजदूरों के नाम पर भुगतान किया गया है वे मौके पर दिखाई ही नहीं दिए और ज्यादातर योजनाओं में कार्य प्रगति ‘शून्य’ पाई गई।
पहला मामला— राजकुमार सिंह के खेत में तालाब निर्माण (वित्तीय वर्ष 2023-24):18 मजदूरों का मास्टर रोल जारी कर 1,68,072 रुपये का भुगतान दिखाया गया, जबकि स्थल पर न तालाब मिला और न ही कोई कार्य।
दूसरा मामला— बलराम कुमार के खेत में डोभा निर्माण (वित्तीय वर्ष 2025-26):10 मजदूर दर्ज, 18,048 रुपये भुगतान, पर जमीन पर काम का नामोनिशान नहीं।
तीसरा मामला— राजकिशोर सिंह के खेत में डोभा निर्माण (वित्तीय वर्ष 2025-26):16 मजदूरों के नाम पर 40,608 रुपये की निकासी, लेकिन स्थल पर न खुदाई, न मजदूर।
चौथा मामला— फूलो देवी के खेत में डोभा निर्माण (वित्तीय वर्ष 2023-24): 7 मजदूर दिखाकर 18,612 रुपये का भुगतान, जबकि पूरी योजना सिर्फ कागजों तक सीमित पाई गई। चारों योजनाओं में एक जैसी गड़बड़ी सामने आई— मजदूर नहीं, काम नहीं, लेकिन भुगतान पूरा। यह साफ संकेत देता है कि योजनाओं में फर्जी मजदूरों और कागजी मस्टर रोल का सहारा लेकर सरकारी धन की खुली लूट की गई है जिसमें पंचायत के मुखिया रोजगार सेवक तथा बीपीओ की साफ मिली भगत दिखाई देता है। वहीं पूरा मामला उजागर होने पर इतने बड़े गंभीर अनियमितता को देखते हुए जिला प्रशासन ने जीआरएस गौतम कुमार दांगी से 48 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है साथ हीं साफ और स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि समय पर ठोस दस्तावेज, फोटो और अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए तो उनके खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। मनरेगा योजना जो सिर्फ न एक योजना है बल्कि एक कानून है उसमें इस तरह की लूट -खसोट न सिर्फ मनरेगा की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं की निगरानी व्यवस्था की पोल खोलता है। प्रशासन अब इस पूरे मामले पर गंभीरता से निगरानी कर रहा है और अन्य योजनाओं की भी जांच की संभावना जताई जा रही है।
