मोदी नैतिक तौर पर प्रधानमंत्री के दावेदार नही : सुप्रियो

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sunil Verma
रांची : झामुमो ने देश के कार्यकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि 18 वीं लोकसभा गठन के पूर्व शुक्रवार को एनडीए संसदीय दल की बैठक में मोदी को नेता चुना गया। मोदी के अपना भाषण से लगता है कि मोदी नैतिक तौर पर प्रधानमंत्री के दावेदार नहीं रहे। उन्हें जबरन तीसरी बार कुर्सी पर बैठाया जा रहा है। अमित शाह के शब्दों में 60 वर्षों के बाद कोई सरकार तीसरी बार आ रही है। ये तुलनात्मक अध्ययन करते हैं कि नेहरू के बाद मोदी आ रहे हैं। उक्त बातें झामुमो के महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान शुक्रवार को कही। थोड़ा पीछे भी जाना चाहिए कि तीसरी बार जब सन 62 में जवाहर लाल नेहरू आ रहे थे, तो इस तरह का फैरक्चर मेंडेड नहीं था। देश को तत्कालीन प्रधानमंत्री पर विश्वास था,लेकिन आज के लोग प्रधानमंत्री पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। ये वास्तविक डाटा को भाजपा के लोगों ने छिपाने का काम किया। आज पहली बार 10 वर्षों के बाद मोदी मजबूर हुए एनडीए का नाम लेने के लिए. अपने पूरे भाषण में एक भी बार भाजपा का नाम नहीं लिया। जो दशार्ता है कि भाजपा के नेता के तौर पर उनकी हार, उनके लिए शर्म का विषय है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जो भी वाजपेया, बाला साहेब ठाकरे , प्रकाश बादल, जॉर्ज फर्नाडिंस , शरद यादव ने जो बीज लगाया था, आज यह उसका वृक्ष है। दस साल में पहली बार मजबूर हुए उन नेताओं को याद करने के लिए. एक बार ही नहीं कहा गया कि मोदी की गारंटी। उन्होंने पूरे चुनाव में जो न्यूनतम 45 मिनट और अधिकतम डेढ़ घंटे का भाषण होता था। उसमें कम से 50 बार से लेकर 125 बार तक अपने नाम का उल्लेख किया गया। मोदी ऐसा है, मोदी वैसा है, मोदी ऐसा करता है। उन्होंने कहा लेकिन झारखंड के उनके एक पार्टनर सुदेश महतो को अपमानित करने का काम किया गया। ये लोग मोदी की पहली कैबिनेट की बैठक और संसद में सरना धर्म कोड और ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण लाने का काम करें।सुप्रियो ने कहा कि नीतीश जी को यह बताना होगा कि जातिगत जनगणना होगा या नहीं। उस जातिगत जनगणना के अलावे झारखंड से सर्वमत से पारित सरना धर्म कोड को पारित किया गया । नौ सांसद यहां से चुने गए, इसमें आजसू के भी हैं, उनको बताना पड़ेगा कि यह जातीय जनगणना का हिस्सा होगा या नहीं। उनके साथ खड़े नीतीश जी को यह बताना पड़ेगा कि झारखंड से पारित 27 प्रतिशत को ओबीसी आरक्षण वह मिलेगा या नहीं। वहां पर शामिल नायडू को बोलना पड़ेगा या सीएए और एनआरसी लागू होगा या नहीं., क्योंकि अपने घोषणा पत्र में उन्होंने इसे खारिज किया है।