मवेशीपालन से समुचित लाभ के लिए बेहतर प्रजनन प्रबंधन की जरुरत: अमरीश त्यागी

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बीएयू के खरीफ अनुसंधान परिषद की दो दिवसीय बैठक प्रारंभ

by sunil
रांची : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली  के सहायक महानिदेशक (पशु पोषण एवं दैहिकी) डॉ अमरीश कुमार त्यागी ने मवेशी पालन से समुचित लाभ के लिए गाय-भैंस के प्रजनन प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि मवेशियों में हीट की एक भी अवधि मिस करने पर लाखों का नुकसान हो सकता है। सही प्रजनन प्रबंधन से इन पशुओं से वर्ष में 300 दिन तक दुग्ध प्राप्त किया जा सकता है, जबकि ध्यान नहीं देने से इसकी आधी अवधि में ही दुग्ध मिल पायेगा। डॉ त्यागी रविवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के खरीफ अनुसंधान परिषद की दो दिवसीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पशुपालन में 70-80 प्रतिशत लागत उनके चारा-दाना पर आती है इसलिए स्थानीय रूप से उपलब्ध पोषकता से भरपूर चारा एवं औषधीय पौधों का इस्तेमाल उनके आहार में करना चाहिए। वैज्ञानिकों को इन पहलुओं पर शोध अनुशंसा पशुपालकों को उपलब्ध कराना चाहिए । कृषि उपज, मांस एवं दुग्ध के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर जोर देते हुए। उन्होंने कहा कि प्रसंस्कृत उत्पाद की पोषकता एवं विशिष्टता की बढ़िया से ब्रांडिंग और मार्केटिंग की जानी चाहिए ताकि बेहतर मूल्य मिल सके। वन उत्पादकता संस्थान, रांची के निदेशक डॉ अमित पांडेय ने वैसे अनुसंधान को प्राथमिकता देने की वकालत की जिससे समाज में परिवर्तन आ सके तथा किसान उसे आसानी से अपना सके।बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने देशी पशु नस्लों के आनुवंशिक सुधार, पशु रोगों के सिस्टेमेटिक सर्वेक्षण, जांच एवं टीकाकरण, पशुओं को दिए जा रहे खाद्य पदार्थों के सुरक्षा पहलुओं एवं पोषण संवर्धन पर अनुसंधान कार्यक्रम सुदृढ़ करने पर जोर दिया क उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पशु प्रक्षेत्रों की स्थिति बेहतर बनाने की काफी संभावना है क उनके वैज्ञानिक प्रबंधन, सूचनाओं के इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले तथा प्रक्षेत्रों के काम पर शोधपत्र के प्रकाशन की जरुरत है ।अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह ने स्वागत भाषण करते हुए शोध उपलब्धियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। बैठक में पशुचिकित्सा एवं वानिकी संकाय के विभागाध्यक्षों एवं वैज्ञानिकों ने विभाग की वर्ष 2023 की अपनी अनुसंधान उपलब्धियां का विवरण तथा खरीफ 2024 का तकनीकी कार्यक्रम प्रस्तुत किया क बीएयू के पूर्व कुलपति डॉ जीएस दुबे, केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक डॉ एनबी चौधरी तथा कृषि प्रणाली का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र, पलांडू के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एके सिंह ने शोध कार्यक्रमों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए |

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