नौसेना ने युद्धपोत सूरत से अरब सागर में दागी मिसाइल, सीधे लक्ष्य पर लगा निशाना, सभी खतरों के खिलाफ हवाई सुरक्षा होगी मजबूत

NATIONAL

Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना ने गुरुवार सुबह युद्धपोत आईएनएस सूरत से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) सफलतापूर्वक दागी। इससे जहाज रोधी मिसाइलों को संलग्न करने की क्षमता प्रमाणित हुई है। यह परीक्षण ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर में किया गया। मिसाइल ने हवाई लक्ष्यों को रोक दिया और दोनों सीमाओं पर सीधे हिट करते हुए उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया। भारतीय नौसेना के नवीनतम निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत आईएनएस सूरत ने आज अरब सागर में स्थित एक लक्ष्य पर 70 किलोमीटर की अवरोधन सीमा वाली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। हवाई रक्षा के लिए एमआरएसएएम हर मौसम में 360 डिग्री पर काम करने वाली हवाई रक्षा प्रणाली है, जो किसी भी संघर्ष क्षेत्र में विविध तरह के खतरों के खिलाफ संवेदनशील क्षेत्रों की हवाई सुरक्षा करेगी। इस प्रणाली को डीआरडीओ और इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।

नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा कि इस परीक्षण के बाद भारतीय नौसेना ने स्वदेशी युद्धपोत क्षमताओं में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय नौसेना के नवीनतम स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस सूरत ने समुद्र में स्थित एक लक्ष्य पर सफलतापूर्वक सटीक हमला किया है, जो नौसेना की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह क्षमता स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन, विकास और संचालन में भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाती है और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। यह उपलब्धि देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता और आत्मनिर्भर भारत के प्रति समर्पण का प्रमाण है। एमआरएसएएम का वजन करीब 275 किलोग्राम, लंबाई 4.5 मीटर और व्यास 0.45 मीटर है। इस मिसाइल पर 60 किलोग्राम तक हथियार लोड किए जा सकते हैं। यह मिसाइल दो स्टेज की है, जो लॉन्च होने के बाद कम धुआं छोड़ती है। एमआरएसएएम एक बार लॉन्च होने के बाद 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाली किसी भी मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन और निगरानी विमानों को मार गिराने में पूरी तरह से सक्षम है। यह 2469.6 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दुश्मनों पर प्रहार और हमला कर सकती है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड में निर्मित एमआरएसएएम से नौसेना की ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई है।

भारतीय सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पूर्वी थिएटर में अपनी पहली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रेजिमेंट की स्थापना की है। यह रेजिमेंट लड़ाकू जेट, यूएवी, सब सोनिक और सुपरसोनिक मिसाइल आदि जैसे दुश्मन के हवाई खतरों से भारत की रक्षा करेगी। मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली बराक-8 मिसाइल प्रणाली (एमआरएसएएम) काे भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा चुका है। यह आकाश के बाद दूसरा मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे वायु सेना में शामिल किया गया है।